रंग षष्ठी नाट्य समारोह में बाबूजी का मंचन, दर्शकों ने सराहा
- Post By Admin on Sep 19 2025

- राजेश सिंह के निर्देशन में जीवंत हुआ समाज और कला का संगम
- लोकनाट्य प्रेम ने बिखेरा बाबूजी का पारिवारिक जीवन, तबले-हारमोनियम संग जीता आखिरी पल
- राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय रंगमंडल के प्रमुख राजेश सिंह की अनूठी निर्देशकीय शैली दिखी मंच पर
- ‘बाबूजी’ में मिथिलेश्वर की कहानी और विभांशु वैभव का नाट्य रूपांतरण बना खास आकर्षण
पटना : राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय रंगमंडल द्वारा आयोजित रंग षष्ठी नाट्य समारोह के चौथे दिन शुक्रवार को प्रेमचंद रंगशाला में दर्शकों ने एक और बेहतरीन प्रस्तुति देखी। रंगमंडल प्रमुख राजेश सिंह के निर्देशन में नाटक “बाबूजी” का मंचन हुआ, जिसने उपस्थित दर्शकों को गहराई तक प्रभावित किया।
यह नाटक समाज के उस व्यक्ति की कहानी कहता है जो अपनी ज़िंदगी को स्वतंत्रता और अपनी शर्तों पर जीना चाहता है। नायक बाबूजी अपने भीतर के कलाकार को जीवित रखते हुए नौटंकी जैसे लोकनाट्य से प्रेम करता है। लेकिन इसी जुनून के कारण उसका पारिवारिक जीवन बिखर जाता है और उसे अपने ही घर से बाहर होना पड़ता है। तमाम संघर्षों के बावजूद तबले की थाप और हारमोनियम की गूँज उसकी अंतिम सांस तक उसका साथ नहीं छोड़ती। निर्देशक राजेश सिंह ने इस नाटक के जरिए कला और सामाजिक जिम्मेदारियों के बीच टकराव को मंच पर जीवंत किया। बिहार विश्वविद्यालय से स्नातक राजेश सिंह ने दिल्ली के श्रीराम सेंटर फॉर परफॉर्मिंग आर्ट्स से रंगमंच की बारीकियां सीखीं। उन्होंने लंदन एकेडमी ऑफ म्यूजिकल एंड ड्रामेटिक आर्ट्स से मंच प्रबंधन और निर्देशन का अध्ययन किया और कई राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय सम्मान अर्जित किए।
“बाबूजी” में राजेश सिंह, शिल्पा भारती, पूजा गुप्ता, मजिबुर रहमान, अंकुर सिंह, सत्येंद्र मलिक और नवीन सिंह ठाकुर जैसे कलाकारों ने अपनी शानदार अदाकारी से दर्शकों को प्रभावित किया। प्रकाश और ध्वनि की तकनीकी सज्जा, विभांशु वैभव द्वारा किया गया नाट्य रूपांतरण और स्व. बी.वी. कारंत का संगीत प्रस्तुति की आत्मा साबित हुआ।
समारोह में उपस्थित दर्शकों ने नाटक की कहानी, अभिनय और मंच सज्जा की सराहना की और राजेश सिंह के निर्देशन को यादगार बताया।