बेतिया की अर्चना बनीं फैक्ट्री की मालकिन, 3 करोड़ रुपये का किया कारोबार
- Post By Admin on Dec 27 2024

बेतिया : एक समय था जब अर्चना कुशवाहा सूरत की एक फैक्ट्री में काम करती थीं लेकिन आज वह खुद एक फैक्ट्री की मालिक हैं और उनकी फैक्ट्री सालाना 3 करोड़ रुपये का कारोबार कर रही है। इस सफलता की कहानी बेहद प्रेरणादायक है क्योंकि यह दिखाती है कि कठिनाइयों और चुनौतियों के बावजूद अगर मन में संघर्ष और आत्मविश्वास हो तो कोई भी मंजिल हासिल की जा सकती है।
कोरोना काल में मिली दिशा
अर्चना कुशवाहा का जीवन तब बदल गया जब कोरोना महामारी के दौरान सूरत में उनके कामकाज बंद हो गए। इस मुश्किल समय में उन्होंने बिहार लौटने का फैसला किया। सूरत से बेतिया लौटते हुए उनके मन में कई सवाल थे कि अब उनका जीवन किस दिशा में जाएगा लेकिन उन्हें उम्मीद की किरण मिली बेतिया के स्थानीय जिला प्रशासन और राज्य सरकार से।
राज्य सरकार की मदद से शुरू हुआ स्टार्टअप
अर्चना ने बताया, “हमारे पास न तो कोई खास पूंजी थी, न ही कोई बड़ा अनुभव था लेकिन राज्य सरकार ने प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (PMEGP) के तहत हमें 25 लाख रुपये का लोन दिलवाया। इस रकम से हमने अपनी फैक्ट्री शुरू की जो आज बेतिया में साड़ी, लहंगा और शूट बनाने का काम करती है।”
अर्चना की फैक्ट्री ने न केवल उनका जीवन बदला बल्कि इसने 25 लोगों को रोजगार भी दिया है। फैक्ट्री में उत्पादित कपड़े बिहार के विभिन्न शहरों जैसे गोरखपुर, सीवान, पटना और पश्चिमी चंपारण में भेजे जाते हैं।
सफलता की ऊंचाइयां
अर्चना कुशवाहा का कहना है, “आज हम सालाना 3 करोड़ रुपये का कारोबार कर रहे हैं। पहले मैं सूरत में किसी और के लिए काम करती थी लेकिन आज मुझे अपनी फैक्ट्री की मालिक होने का गर्व है। यह सब राज्य और केंद्र सरकार की मदद से संभव हुआ है। मैं उनका धन्यवाद करती हूं।”
दूसरों के लिए प्रेरणा
अर्चना कुशवाहा की सफलता न केवल उनके कठिन संघर्ष की कहानी है बल्कि यह भी दिखाती है कि अगर किसी के पास सही दिशा और मौका हो तो वह अपनी मेहनत से अपनी किस्मत बदल सकता है। उनके इस सफर से अन्य उद्यमियों को भी प्रेरणा मिलती है कि कैसे विपरीत परिस्थितियों में भी सफलता प्राप्त की जा सकती है।
आज अर्चना कुशवाहा अपनी मेहनत और लगन के बल पर न सिर्फ अपनी जीवनशैली बदल चुकी हैं बल्कि उन्होंने अपने आसपास के लोगों के लिए भी रोजगार के अवसर पैदा किए हैं। उनकी कहानी साबित करती है कि अगर समर्पण और साहस हो तो कोई भी मुश्किल रुकावट नहीं बन सकती।