अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर अखिल भारतीय जनवादी महिला फेडरेशन ने किया कार्यक्रम काआयोजन
- Post By Admin on Mar 09 2025

मुजफ्फरपुर: अखिल भारतीय जनवादी महिला फेडरेशन (AIFDW), बिहार समन्वय समिति, मुजफ्फरपुर के बैनर तले अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस का आयोजन कन्हौली विशुनदत्त के हरखू चौधरी टोला में किया गया। इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में महिलाओं, युवाओं और समाजसेवियों की भागीदारी देखी गई। आयोजन की शुरुआत साथी आरती, गुंजन और राजू द्वारा प्रस्तुत शहीदगान "जो मेहनतकश इंसानों के वास्ते हुए कुर्बान" से हुई, जिसके बाद उपस्थित लोगों ने शहीद वेदी पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी। पूरे कार्यक्रम का उद्देश्य महिला अधिकारों, सामाजिक कुरीतियों और लैंगिक समानता को लेकर जागरूकता फैलाना और महिलाओं को एकजुट करने का रहा।
कार्यक्रम में अपने विचार रखते हुए सुकेश्वरी देवी ने कहा कि बेटियों का शिक्षित होना आज के समय की सबसे बड़ी जरूरत है। जब महिलाएं शिक्षित होंगी, तभी वे अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होंगी और समाज की कुरीतियों के खिलाफ मजबूती से खड़ी हो सकेंगी। उन्होंने जोर देकर कहा कि शिक्षा ही वह माध्यम है, जिससे महिलाएं आत्मनिर्भर बन सकती हैं और समाज में अपना सशक्त स्थान प्राप्त कर सकती हैं। इसी क्रम में अखिल भारतीय जनवादी महिला फेडरेशन (AIFDW) की बिहार समन्वय समिति की संयोजक साथी पूजा ने महिलाओं की स्थिति पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इतिहास से लेकर आज तक उन्हें अलग-थलग रखने की कोशिश की गई है, फिर भी उन्होंने राष्ट्रीय स्वतंत्रता संग्राम और सामाजिक न्याय के संघर्षों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि आज भी महिलाओं को घरेलू हिंसा, भेदभाव, उत्पीड़न, बेरोजगारी, महंगाई, अपमान, असमानता और नशाखोरी जैसी बुराइयों के खिलाफ एक व्यापक जन आंदोलन की जरूरत है।
महिला अत्याचारों पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए साथी बिंदिया ने कहा कि आज कई लड़कियां अपनी जिंदगी के साथ खिलवाड़ कर रही हैं, लेकिन असली जरूरत इस बात की है कि वे अपनी सच्ची लड़ाई को पहचानें और खुद इसके खिलाफ खड़ी हों। उन्होंने कहा कि परिवार और समाज में व्याप्त रूढ़ियों को तोड़कर ही महिलाओं को सशक्त बनाया जा सकता है। वहीं, साथी पुष्पांजली ने सरकार की नीतियों पर सवाल उठाते हुए कहा कि आज भी महिलाओं के खिलाफ हो रहे अपराधों पर सख्त कार्रवाई नहीं की जा रही है। उन्होंने कोलकाता के आर.जी. कर हॉस्पिटल में हुई घटना का उदाहरण देते हुए कहा कि सरकार बलात्कारियों को सजा दिलाने में पूरी तरह नाकाम रही है।
ग्रामीण क्षेत्र से आईं इंदू देवी ने कहा कि आज कई लड़कियों को प्यार का झांसा देकर उनकी तस्करी की जा रही है, जो समाज के लिए एक गंभीर खतरा बन चुका है। उन्होंने इस विषय पर कठोर कानून और जन जागरूकता अभियान की आवश्यकता जताई। इसी संदर्भ में साथी पूनम देवी ने समाज में व्याप्त अन्याय और महिलाओं के खिलाफ हो रहे अत्याचारों को लेकर अपनी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि बलात्कार, दहेज हत्या, जबरन विवाह, बहुविवाह और बाल विवाह जैसी कुरीतियां आज भी समाज में गहराई से जमी हुई हैं। सरकार ने कई संवैधानिक अधिकारों की व्यवस्था की है, लेकिन वे सिर्फ कागजों तक सीमित रह गई हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इन सामाजिक बुराइयों के खिलाफ निरंतर आंदोलन और जागरूकता अभियानों को तेज करना होगा, ताकि महिलाओं को उनका हक मिल सके।
कार्यक्रम के दौरान सांस्कृतिक प्रस्तुतियों ने भी उपस्थित लोगों को प्रभावित किया। "विकल्प" की नवोदित इकाई के बाल कलाकारों ने "बेटी के जन्म पर सोहर" गाकर समाज को लैंगिक भेदभाव से मुक्त करने का संदेश दिया। इसके बाद साथी पूनम देवी ने "भइया हो भइया मजदूर भइया, बहिना गे बहिना मजदूर बहिना, कि मिलीके बदल द हिन्दुस्तान" गीत प्रस्तुत कर सभी को एकजुट होकर अपने हक के लिए संघर्ष करने के लिए प्रेरित किया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में महिलाएं, छात्राएं, समाजसेवी और विभिन्न संगठनों से जुड़े कार्यकर्ता उपस्थित रहे।
मंच संचालन साथी पूजा ने किया, जबकि अध्यक्षता पूनम देवी ने की। पूरे कार्यक्रम का समापन महिलाओं की भागीदारी और संघर्ष के महत्व पर जोर देते हुए किया गया। इस आयोजन ने महिलाओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करने के साथ ही समाज में व्याप्त भेदभाव और अन्याय के खिलाफ एकजुट होकर संघर्ष करने की प्रेरणा दी।