बयानों और विज्ञापनों से साफ हो रही है चुनावी तस्वीर, भाजपा और कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर

  • Post By Admin on Nov 18 2024
बयानों और विज्ञापनों से साफ हो रही है चुनावी तस्वीर, भाजपा और कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर

रांची : झारखंड विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण का मतदान नजदीक आते ही राज्य की राजनीतिक तस्वीर और तेज़ी से साफ हो रही है। भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दल अपनी प्रचार रणनीतियों में बदलाव कर रहे हैं और उनके बयानों और विज्ञापनों के जरिए यह साफ हो रहा है कि चुनावी मुकाबला बेहद कड़ा होने वाला है।

हिमंता बिस्वा सरमा का बयान और भाजपा का तनाव:
झारखंड में चुनावी माहौल गर्माता जा रहा है। असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा का हालिया बयान इस तनाव को उजागर करता है। उन्होंने रांची एसपी की एक कार्रवाई पर टिप्पणी करते हुए कहा कि अमित शाह जहां ठहरे थे। वहां की तलाशी लेने वाले अधिकारी पर चुनाव के बाद कार्रवाई की जाएगी। इस बयान से यह साफ होता है कि असम के मुख्यमंत्री के लिए झारखंड विधानसभा चुनाव एक बड़ी चुनौती बन चुका है। इसके साथ ही उन्हें इस बार झारखंड चुनाव का सहप्रभारी भी नियुक्त किया गया है।

झारखंड चुनाव में भाजपा ने बांग्लादेशी घुसपैठियों के मुद्दे को प्रमुखता से उठाकर आदिवासी वोट बैंक को अपने पक्ष में लाने की कोशिश की थी, लेकिन पहले चरण के मतदान में आदिवासी बहुल क्षेत्रों से मिले परिणाम इस प्रयास को पूरी तरह सफल नहीं होने का संकेत दे रहे हैं। हालांकि, कुछ सीटों पर भाजपा को उम्मीदें हैं, जो चुनावी रणनीति को लेकर पार्टी के भीतर आत्ममंथन का कारण बन सकती हैं।

भाजपा और कांग्रेस के प्रचार में अंतर:
इस चुनावी माहौल में विज्ञापन प्रचार भी दोनों दलों के लिए अहम बन चुका है। भाजपा इस बार केवल अखबारों और गूगल विज्ञापनों पर जोर दे रही है। पार्टी ने गूगल पर अपने विज्ञापनों की छाप जमाई है और राज्य के किसी भी हिस्से से इंटरनेट खोलने पर भाजपा के विज्ञापन सामने आ रहे हैं। वहीं, कांग्रेस ने अपनी रणनीति में सोशल मीडिया को ज्यादा महत्व दिया है और यूट्यूब तथा फेसबुक पर अपने अभियान को तेज किया है।

कांग्रेस के विज्ञापन उन चैनलों पर नजर आ रहे हैं जो आमतौर पर मोदी सरकार की आलोचना करते रहे हैं। कांग्रेस अपने विज्ञापनों में यह बता रही है कि अगर उसकी सरकार बनती है तो जनता को क्या लाभ मिलेगा।

आम जनता की सोच और तौल:
अलग-अलग प्रचार माध्यमों का असर अब आम मतदाता के बीच स्पष्ट होता जा रहा है। वह न केवल अखबार पढ़ रहा है, बल्कि सोशल मीडिया के जरिए विभिन्न सूचनाओं का भी विश्लेषण कर रहा है। हालांकि, वोटर इस प्रचार से संतुष्ट नहीं है और जमीनी हकीकत को तौलते हुए चुनावी प्रक्रिया में भाग ले रहा है इसलिए, भाजपा और इंडिया गठबंधन दोनों के लिए यह चुनावी मुकाबला बेहद कांटे का साबित हो सकता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विदेश दौरे पर होने के कारण अब सारा दारोमदार असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा पर है। जो भाजपा के संगठन को निचले स्तर तक सक्रिय करने में सफल रहे हैं।

इंडिया गठबंधन की स्थिति:
वहीं, इंडिया गठबंधन के तहत चुनावी मैदान में उतरे तीन प्रमुख दलों के बीच स्थिति कुछ हद तक उलझी हुई है। इन दलों के वोट ट्रांसफर में अपेक्षित सफलता नहीं मिल रही है, जो चुनावी जीत के लिए जरूरी है। सभी दल अपने-अपने आधार वोटों के भरोसे हैं, जबकि सहयोगी दल केवल औपचारिक रूप से समर्थन दे रहे हैं।