नीतीश की जाति आधारित जनगणना मात्र राजनीति : शान्ता कुमार

  • Post By Admin on Feb 10 2023
नीतीश की जाति आधारित जनगणना मात्र राजनीति : शान्ता कुमार

पालमपुर : हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शान्ता कुमार ने कहा कि नीतीश कुमार अपनी राजनीति चमकाने के लिए बिहार में जाति आधारित जनगणना करवा रहे हैं। उस पर लगभग 500 करोड़ रुपये खर्च होंगे। शान्ता कुमार ने शुक्रवार को यहां जारी एक वक्तव्य में कहा कि 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम से घबरा कर अंग्रेजों ने भारत को हमेशा गुलाम रखने के लिए दो निर्णय किये थे। हिन्दु-मुस्लिम को लड़ाना और भारत में जातियों के आधार पर बंटवारा करना। उसके लिए 1931 में जाति आधारित जनगणना की योजना बनाई। महात्मा गांधी ने इसका विरोध किया। पूरे देश में इतना अधिक विरोध हुआ कि जाति गणना नहीं करवाई जा सकी। बाद में एक बार कर्नाटक में जाति आधारित जनगणना करवाई गई थी परन्तु उसका परिणाम कभी भी घोषित नहीं किया गया। अंग्रेज भारत को जातियों में बांटने में तो सफल नहीं हुए परन्तु उन्होंने हिन्दू-मुस्लिम को लड़ा कर 1947 में भारत का विभाजन करवा दिया, जिसमें 10 लाख बेगुनाह मारे गये और एक करोड़ अपने घरों से विस्थापित हुए।

उन्होंने कहा कि बिहार के बाद अब महाराष्ट्र में जाति आधारित जनगणना की मांग हो रही है। कितना दुर्भाग्य है कि भारत को जाति आधारित षड्यंत्र से तोड़ने का जो काम अंग्रेज नहीं कर सके, उस काम को अब नीतीश कुमार और वोट की राजनीति करने वाले नेता कर रहे हैं। भारत में हजारों जातियां और लाखों उपजातियां हैं। यह भानुमती का पिटारा नहीं खुलना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत के सभी देश भक्त नेता इसका विरोध करते रहे। संविधान सभा में एक ऐतिहासिक भाषण में डा. अम्बेडकर ने कहा था कि भारत में जातियां राष्ट्र विरोधी हैं। जातियों में बांट कर देश को हानि हुई है। यदि एक राष्ट्र बनाना है तो जातियां समाप्त करनी होगी।

शांता कुमार ने कहा कि यह एक ऐतिहासिक सच्चाई है कि जब भारत छोटे-छोटे प्रदेशों और जातियों में बंटा था तो भारत में गुलामी आई थी। एक भारत टूटने से ही हजारों साल की गुलामी भारत ने सही। लाखों शहीदों की कुर्बानियों से भारत आजाद हुआ है। अब आजाद भारत को जातियों में बांटने की कोशिश दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कहा कि समय आ गया है, जब भारत की एकता के लिए और गरीबी को पूरी तरह से समाप्त करने के लिए जाति आधारित आरक्षण को समाप्त करके केवल आर्थिक आधार पर आरक्षण देना होगा।

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमाचल और राजस्थान में 1977 में अन्त्योदय योजना द्वारा आर्थिक आधार पर गरीबी को दूर करने का प्रयोग किया गया था। 1977 में मुख्यमंत्री बनने पर हिमाचल प्रदेश में अन्त्योदय योजना शुरू की थी। प्रदेश के सबसे गरीब एक लाख लोग चुने गये थे। उनमें सभी जातियों के गरीब लोग थे। दो साल में उनमें 30 प्रतिशत लोग गरीबी की रेखा से ऊपर हो गये थे। उन्होंने कहा कि यदि 1977 में पूरे देश में अन्त्योदय योजना से आर्थिक आधार पर आरक्षण दिया गया होता तो आज भारत में एक भी गरीब नहीं होता।