ग्वालियर लोकसभा के राजशाही सीट पर हो रही गोरिल्ला युद्ध

  • Post By Admin on Apr 13 2024
ग्वालियर लोकसभा के राजशाही सीट पर हो रही गोरिल्ला युद्ध

ग्वालियर : ग्वालियर का नाम आते ही आंखों के आगे राजा-महाराजा और लाव-लश्कर जैसे दृश्य तैरने लगते हैँ। 1857 में झांसी की रानी लक्ष्मीबाई के संघर्ष की गाथाओं से लेकर सिंधिया परिवार के राजनीति में दखल का दशकों पुराना इतिहास हर लोकसभा चुनाव में यहां की सीट को देशभर में चर्चित बनाता रहा है। भाजपा की ओर से यहां के दोनों दिग्गज केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और पूर्व केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर सीधे तौर से ग्वालियर के चुनावी रण से गायब हैं। सिंधिया समीप की गुना-शिवपुरी से खुद का समर लड़ रहे हैं तो विधानसभा अध्यक्ष बनकर नरेंद्र सिंह तोमर पर चुनाव प्रचार में उतरने का संवैधानिक प्रतिबंध लगा हुआ है। कुछ ऐसी ही स्थिति कांग्रेस की है। ग्वालियर महापौर शोभा सिकरवार एवं उनके पति कांग्रेस विधायक सतीश सिकरवार की उम्दा पकड़ शहर में है, कांग्रेस को उनसे उम्मीद थी लेकिन उनके भाई नीटू सिकरवार पड़ोस की मुरैना सीट से किला लड़ा रहे हैं। लिहाजा पूरा परिवार चंबल के चुनाव में व्यस्त है। कुल मिलाकर भाजपा प्रत्याशी भरत सिंह कुशवाहा और कांग्रेस प्रत्याशी प्रवीण पाठक खुद ही छोटी-छोटी सेनाएं बनाकर गोरिल्ला युद्ध लड़ रहे हैं। सबकी नजरें इस पर हैं कि शिवाजी महाराज की गुरिल्ला युद्ध तकनीक से ग्वालियर के गढ़ पर कौन विजय पताका फहराता है। तमाम किंतु परंतु के बीच इतना तय है कि दोनों ही प्रत्याशियों के सामाजिक राजनीतिक जातिगत समीकरणों के चलते चुनाव कांटे का हो गया है। भाजपा के पास प्रत्याशी के जातिगत वोट बैंक एवं मोदी मैजिक है। कांग्रेस को युवा एवं तेज तर्रार प्रत्याशी, पिछले विधानसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन और नगर सरकार पर कब्जा होना फायदा मिलता दिखाई दे रहा है। भविष्य में मोदी और प्रियंका की रैली, रहाुल गांधी कुछ दिन पहले ही न्याय यात्रा लेकर यहां से गुजर चुके हैं। लोकसभा क्षेत्र की कुल आठ में से दोनों दलों के पास चार-चार विधानसभा पर कब्जा है। कुल मिलाकर देखना अब यह है कि ग्वालियर लोकसभा सीट पर हो रहे गोरिल्ला युद्ध मेें कौन से दल को बाजी मारने का मौका मिलेगा यह तो चुनाव परिणाम आने के बाद ही पता चल सकेगा।