विश्वविद्यालय स्तर पर गाइड का निर्धारण करने की मांग करते हुए शोधार्थियों ने कुलपति को लिखा पत्र
- Post By Admin on Jul 04 2024

मुजफ्फरपुर : भीम राव अंबेडकर बिहार विश्वविद्यालय, मुजफ्फरपुर के शोध के छात्रों ने कुलपति को पत्र लिखकर विश्वविद्यालय में व्याप्त भ्रष्टाचार की शिकायत की है। उन्होंने मांग की है कि विश्वविद्यालय स्तर पर गाइड का निर्धारण सुनिश्चित किया जाए।
शोध छात्रों का कहना है कि जहां कुलपति शोध की गुणवत्ता को बढ़ावा देने का प्रयास कर रहे हैं, वहीं विभागाध्यक्ष, संकायाध्यक्ष और पीएचडी कोर्स कोऑर्डिनेटर की कथित आर्थिक मांगों के कारण गरीब छात्रों को अपना शोध कार्य छोड़ने पर मजबूर होना पड़ रहा है।
छात्रों ने आरोप लगाया कि विभागाध्यक्ष और संकायाध्यक्ष गाइड की नियुक्ति में पारदर्शिता नहीं बरतते। "हम पैट-2021 के शोधार्थी हैं और हमारा कोर्स वर्क पूरा हो चुका है। हमें अब एक कुशल सुपरवाइजर की जरूरत है। लेकिन विभागाध्यक्ष और संकायाध्यक्ष 3 लाख रुपए तक की मांग कर रहे हैं। वे छात्रों को बताते हैं कि शोध पत्र लिखने से लेकर जमा करने तक का काम उनके विभाग के चुनिंदा लोग करेंगे, और गाइड भी वही होंगे जिनसे छात्रों का कोई वास्ता नहीं होगा," छात्रों ने कहा।
छात्रों का आरोप है कि कुछ शिक्षकों ने पीएचडी एडमिशन टेस्ट के दौरान अपनी रिक्तियां नहीं दी थीं, क्योंकि उनके पास पहले से पैट 2019 के शोधार्थी थे। अब, जब 2021 के शोधार्थियों का कोर्सवर्क समाप्त हो गया है, वे भी गाइड नियुक्त करने के लिए मोटी रकम वसूल रहे हैं। जो छात्र पैसे नहीं दे सकते, उन्हें दूरदराज के कॉलेजों के प्राध्यापकों के पास भेजा जा रहा है, जिससे शोध कार्य में कठिनाई हो रही है।
छात्रों ने कुलपति से अनुरोध किया है कि वे इस मामले की जांच करें और सुनिश्चित करें कि केवल उन्हीं शिक्षकों को सुपरवाइजर बनाया जाए, जिन्होंने पैट 2021 के नामांकन के समय रिक्तियां दी थीं। उन्होंने आग्रह किया कि गाइड का निर्धारण विश्वविद्यालय स्तर पर किया जाए ताकि अवैध वसूली और सीट की दलाली को रोका जा सके।
छात्रों ने अपने नाम सार्वजनिक नहीं किए हैं, क्योंकि उन्हें अपने भविष्य की चिंता है। "हम अपना परिचय इसलिए साझा नहीं कर रहे हैं कि हमारा भविष्य उन्हीं लालची लोगों के हाथ में है। कृपया हमें बचाइए और गाइड का आवंटन विश्वविद्यालय स्तर पर करवाने की कृपा कीजिए," छात्रों ने अपने पत्र में लिखा।
इस प्रकरण ने विश्वविद्यालय प्रशासन की निष्पक्षता और पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। छात्रों की शिकायतों के आधार पर जांच की मांग की जा रही है ताकि शोधार्थियों का शोषण न हो और वे अपने शोध कार्य को निर्बाध रूप से पूरा कर सकें।