एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का रामदयालु सिंह महाविद्यालय में हुआ आयोजन
- Post By Admin on Jul 16 2024

मुजफ्फरपुर: रामदयालु सिंह महाविद्यालय के इतिहास विभाग, राजनीति विज्ञान विभाग एवं पीयूसीएल के संयुक्त तत्वावधान में "भारत में मानवाधिकार: समकालीन विमर्श" विषय पर एकदिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस संगोष्ठी में मुख्य वक्ता के रूप में पीयूसीएल के अध्यक्ष प्रो. के. के. झा ने अपने विचार रखे। उन्होंने कहा कि मानवाधिकार जन्मसिद्ध अधिकार है, जिसे कोई भी छीन नहीं सकता। मानवाधिकार एक कवच की तरह है जो विपरीत परिस्थितियों में मानव की रक्षा करता है। उन्होंने मानवाधिकारों के मूल में सम्मान, समानता, स्वतंत्रता, गैर-भेदभाव, सहिष्णुता, न्याय और जिम्मेदारी के महत्व को समझने की आवश्यकता पर जोर दिया।
सामाजिक कार्यकर्ता शाहिद कमाल ने मानवाधिकार उल्लंघन के मामलों पर चर्चा करते हुए कहा कि राज्य ही प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से मानवाधिकारों का उल्लंघन करता है। इसमें पुलिस की बर्बरता, सरकारी अधिकारी एवं संस्थाओं द्वारा शोषण के मामले आते हैं। उन्होंने मानव तस्करी, महिलाओं और बच्चों के यौन शोषण के मामलों में पीयूसीएल जैसी संस्थाओं की महत्वपूर्ण भूमिका की प्रशंसा की और छात्रों से इन संस्थाओं से जुड़कर समाज में मानवाधिकार संबंधी जागरूकता फैलाने की अपील की।
इतिहास विभाग के वरिष्ठ प्राध्यापक डॉ. संजय कुमार सुमन ने कहा कि पीयूसीएल देश के अग्रणी नागरिक स्वतंत्रता संगठनों में से एक है। पीयूसीएल के माध्यम से न्यायालय में कई मामले दायर किए गए हैं, जिसके कारण ऐतिहासिक फैसले आए हैं जिन्होंने भारत में मानवाधिकार का विस्तार किया है।
राजनीति विज्ञान विभाग के अध्यक्ष डॉ. रजनीकांत पांडे ने संगोष्ठी में विषय प्रवेश कराते हुए बताया कि 1948 में संयुक्त राष्ट्र ने मानवाधिकारों की घोषणा की, जिसमें जीने का अधिकार, स्वतंत्रता, शिक्षा, समानता, सूचना पाने तथा राष्ट्रीयता का अधिकार स्वीकार किए गए। इन बिंदुओं पर लगातार विमर्श की आवश्यकता है।
इतिहास विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. एम. एन. रिजवी ने पौधे एवं अंग वस्त्र देकर आगत अतिथियों का सम्मान किया। उन्होंने बताया कि पीयूसीएल सभी वर्गों के लोगों के बीच मानवाधिकार और नागरिक स्वतंत्रता के बारे में जागरूकता फैलाने का कार्य करता है।
महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ. अनिता सिंह ने संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए वक्ताओं के प्रति आभार जताया और मानवाधिकार पर सारगर्भित व्याख्यान के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने नैसर्गिक अधिकार और शिक्षा के अधिकार पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि छह से चौदह वर्ष की आयु में सभी बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का जो कानूनी प्रावधान है, उसे पीयूसीएल के माध्यम से धरातल पर लागू कराने का प्रयास करना होगा।
कार्यक्रम का संचालन डॉ. ललित किशोर ने किया और धन्यवाद ज्ञापन डॉ. अजमत अली ने किया। इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि विश्वविद्यालय पेंशनर सेल के अध्यक्ष प्रो. के. के. सिंह, डॉ. अनुपम कुमार, डॉ. संजय कुमार सुमन, डॉ. एम. एन. रिजवी, डॉ. राकेश कुमार सिंह, डॉ. राजीव कुमार, डॉ. सौरभ राज, डॉ. मनीष कुमार शर्मा, डॉ. मीनू कुमारी, डॉ. ईला, डॉ. वंदना, श्री राजेश कुमार "गोल्टू", श्री विजय कुमार तिवारी, श्री मनीष कुमार एवं सैकड़ों छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।