जाने कौन है कौशल गिरी, क्यों किया गया था जूना अखाड़े से निष्कासित
- Post By Admin on Jan 14 2025

प्रयागराज: उत्तर प्रदेश के आगरा जिले के टरकपुरा गांव की 13 वर्षीय नाबालिग लड़की राखी को महाकुंभ के दौरान जूना अखाड़े की दीक्षा देकर साध्वी बनाया गया। इस घटना ने पूरे धार्मिक जगत को हिला कर रख दिया। जूना अखाड़े के महंत कौशल गिरी पर आरोप है कि उन्होंने नाबालिग लड़की को साध्वी के रूप में स्वीकार किया और उसे दान के रूप में प्राप्त किया। इस गंभीर घटना के बाद जूना अखाड़े ने महंत कौशल गिरी को सात साल के लिए अखाड़े से निष्कासित कर दिया।
कौन हैं महंत कौशल गिरी?
जानकारी के अनुसार कौशल गिरी महाराज की उम्र करीब 38 साल है। उनका जन्म आगरा जिले के लटूरी गांव में हुआ था। उनके पिता का नाम बंगाली रघुवंशी और मां का नाम आशा देवी था। कौशल गिरी ने बचपन से ही पूजा-पाठ में गहरी रुचि दिखाई। मात्र 6 वर्ष की उम्र में उन्होंने धार्मिक गतिविधियों में भाग लेना शुरू कर दिया था। वह अपने गुरु नरसिंह गिरी के साथ गांव के मंदिर में पूजा करते थे।
धीरे-धीरे उन्होंने अपने परिवार और गांव को छोड़कर सन्यासी जीवन अपना लिया। उनके परिवार और गांव के लोग उनके बारे में ज्यादा जानकारी नहीं रखते, लेकिन उनके प्रति काफी श्रद्धा रखते हैं।
पिता की मृत्यु पर भी नहीं लौटे घर
कौशल गिरी ने अपने परिवार से पूरी तरह दूरी बना ली थी। उनके भाई बंटी के अनुसार, पिता की मृत्यु के बाद भी कौशल गिरी घर नहीं लौटे। गांव के मंदिर में रहने वाले महंत रामगिरी बाबा ने बताया कि कौशल गिरी आखिरी बार जून 2024 में मंदिर आए थे और रातभर रुके थे। पिछले दस सालों में वह कुछ ही बार गांव आए और किसी से विशेष बातचीत नहीं की।
गांव में कौशल गिरी की पहचान और चर्चा
गांव के लोगों के अनुसार, कौशल गिरी ने सात दिनों तक लगातार खड़े होकर पूजा करने का कठिन तप किया था जो आज भी गांव में चर्चा का विषय है। उनके रिश्ते के चाचा रमेश सिंह ने बताया कि कौशल गिरी कभी-कभी मंदिर आते हैं और बिना किसी से बातचीत किए वापस चले जाते हैं।
नाबालिग साध्वी मामला: विवाद की जड़
महाकुंभ के दौरान 13 वर्षीय नाबालिग लड़की राखी को साध्वी के रूप में दीक्षा देने का मामला तब सामने आया जब यह खुलासा हुआ कि लड़की को दान के रूप में स्वीकार किया गया था। इस घटना ने जूना अखाड़े की छवि पर सवाल खड़े कर दिए। अखाड़े ने इस गंभीर आरोप को लेकर तुरंत कार्यवाई करते हुए महंत कौशल गिरी को सात साल के लिए निष्कासित कर दिया।