महाकुंभ 2025 में संगम में डुबकी लगाने पहुंचे 68 पाकिस्तानी श्रद्धालु

  • Post By Admin on Feb 06 2025
महाकुंभ 2025 में संगम में डुबकी लगाने पहुंचे 68 पाकिस्तानी श्रद्धालु

प्रयागराज : महाकुंभ 2025 में दुनिया भर से श्रद्धालु संगम में पवित्र स्नान के लिए पहुंच रहे हैं। इस दौरान पाकिस्तान से 68 श्रद्धालुओं का जत्था भी त्रिवेणी संगम में डुबकी लगाने पहुंचा है। ये श्रद्धालु सिंध से हैं और उन्होंने यहां आने के अनुभव को लेकर अपनी खुशी जताई।

पाकिस्तान से 68 श्रद्धालु पहुंचे महाकुंभ में

पाकिस्तान के सिंध प्रांत से आए 68 श्रद्धालु महाकुंभ के तहत प्रयागराज पहुंचे हैं। उन्होंने संगम स्नान के अवसर को अपने लिए सौभाग्य बताया। एक श्रद्धालु, गोविंद राम मखीजा ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा, “हम बहुत भाग्यशाली हैं कि हमें पवित्र स्नान करने का अवसर मिला है। यहां की व्यवस्था और सुविधाएं शानदार हैं। हमें आरामदायक टेंट और स्वादिष्ट भोजन भी मिल रहा है।”

श्रद्धालुओं का उत्साह और श्रद्धा

संगम में स्नान से पहले इन श्रद्धालुओं ने हर-हर गंगे और हर-हर महादेव के जयकारे लगाए। एक श्रद्धालु ने बताया, “हमने महाकुंभ के बारे में मीडिया के माध्यम से सुना था। हम लंबे समय से यहां स्नान करने की इच्छा रखते थे और अब हमारा सपना सच हो गया।” उन्होंने अपनी यात्रा की शुरुआत 3 फरवरी को पाकिस्तान के सिंध से की थी और 4 फरवरी को बाघा बॉर्डर पार करते हुए प्रयागराज पहुंचे।

अच्छे अनुभव और आरामदायक सुविधाओं का आनंद

श्रद्धालुओं ने बताया कि प्रयागराज में उन्हें बहुत अच्छा अनुभव मिला है। वे कहते हैं, “यहां की व्यवस्था, खानपान और रहन-सहन बहुत अच्छा है। थोड़ी ठंड जरूर है, लेकिन इसका आनंद आ रहा है।” एक अन्य श्रद्धालु ने कहा, “प्रयागराज आने की बहुत इच्छा थी और यहां आकर हम बहुत खुश हैं। हमें सारी सुविधाएं मिल रही हैं और हमें यह देखकर बहुत खुशी हो रही है कि हमें अच्छी संगत और सेवाएं मिल रही हैं।”

श्रद्धालुओं का यात्रा मार्ग

ये श्रद्धालु अपने तीर्थ यात्रा के क्रम में पहले प्रयागराज आए हैं और फिर रायपुर, हरिद्वार और ऋषिकेश जाने की योजना बना रहे हैं। वे 28 फरवरी को पाकिस्तान लौटने का कार्यक्रम बना चुके हैं। इन श्रद्धालुओं ने महाकुंभ में स्नान के बाद तर्पण करने की भी योजना बनाई है।

महाकुंभ में इन पाकिस्तानी श्रद्धालुओं की उपस्थिति भारत और पाकिस्तान के बीच धार्मिक और सांस्कृतिक कनेक्शन को भी प्रगाढ़ करती है और यह दर्शाता है कि धार्मिक आस्था और श्रद्धा का कोई सीमा नहीं होती।