सरकारी संस्थाओं का दावा और हकीकत की दूरी, पीड़ित महिला और उसकी बच्ची खा रही दर दर की ठोकरें
- Post By Admin on Mar 08 2025

लखीसराय : शनिवार को जहां एक ओर सरकारी और अर्ध-सरकारी स्वयंसेवी संगठन बड़े जोश-खरोश के साथ अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मना रहे थे, वहीं दूसरी ओर लखीसराय जिले में एक पीड़ित महिला और उसकी दूधमुंही बच्ची शासन, प्रशासन और न्यायिक संस्थाओं से न्याय की उम्मीद लगाए दर-दर की ठोकरें खा रही हैं। यह घटना महिलाओं के प्रति राज्य सरकार और सामाजिक संस्थाओं के दावों की हकीकत को उजागर करती है, जहां महिलाओं को शैक्षणिक, सामाजिक और आर्थिक समबलता देने का दावा किया जाता है, लेकिन सच यह है कि पीड़ित महिला को न्याय दिलाने के लिए कोई भी संस्थान मदद को तैयार नहीं है।
पीड़ित महिला के अनुसार उनके पति सहायक अभियोजन पदाधिकारी निलेश कुमार हिमांशु ने एक वर्ष पूर्व उन्हें अपनी दूधमुंही बच्ची के साथ घर से निकाल दिया और एक शादीशुदा महिला के चक्कर में उन्हें और बच्चे को दर-बदर कर दिया। इसके बाद पीड़िता ने न्याय पाने के लिए जिला शासन प्रशासन, विधि न्याय मंत्रालय बिहार सरकार, एडवोकेट जनरल और अन्य न्यायिक संस्थाओं में आवेदन किया, लेकिन उसकी फरियाद को अनसुना किया जा रहा है।
सहायक अभियोजन पदाधिकारी निलेश कुमार हिमांशु की पत्नी पूजा कुमारी का कहना है कि उसे न्याय की कोई उम्मीद नहीं दिखती। 60 दिनों में मुकदमा की सुनवाई नहीं हुई और बार-बार तारीखें मिलती हैं। खाने-पीने और अपनी बच्ची की परवरिश के लिए दर-दर की ठोकरें खानी पड़ रही हैं, जबकि उनके पति अधिकारी अपनी वेतन के पैसे से रंगरेलियां मना रहे हैं।
पीड़िता पूजा कुमारी ने यह भी आरोप लगाया कि महिलाएं आज भी समाज में पुरुषों द्वारा भोग की वस्तु समझी जाती हैं और सामान्य महिलाओं के लिए अधिकार और न्याय पाना मुश्किल ही नहीं, बल्कि नामुमकिन है। सरकारी और गैर-सरकारी संस्थान महिलाओं के लिए काम करने का दावा करते हैं, लेकिन कागजों में ही सब कुछ सिमटकर रह जाता है।