अयोध्या में फहरा रामराज्य का प्रतीक, भागवत ने याद किए संघर्ष और तपस्या के वर्ष

  • Post By Admin on Nov 25 2025
अयोध्या में फहरा रामराज्य का प्रतीक, भागवत ने याद किए संघर्ष और तपस्या के वर्ष

अयोध्या : राम मंदिर ध्वजारोहण समारोह के ऐतिहासिक अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा कि आज का दिन उन तमाम संतों, श्रद्धालुओं और समर्पित कार्यकर्ताओं के बलिदान, तप और संघर्ष की सार्थकता का प्रतीक है, जिन्होंने सदियों तक राम मंदिर निर्माण के संकल्प को जीवित रखा।

भागवत ने अपने संबोधन में कहा कि अनेक महान विभूतियाँ—जिन्होंने राम मंदिर के पुनर्निर्माण का स्वप्न देखा और इसके लिए अपने जीवन समर्पित कर दिया—आज आत्मिक संतोष प्राप्त कर रही होंगी। उन्होंने विशेष रूप से अशोक सिंघल, संत परमहंस चंद्र दास, और आदरणीय डालमिया जी का स्मरण करते हुए कहा कि इन व्यक्तित्वों के योगदान को इतिहास सदैव याद रखेगा। उन्होंने कहा कि मंदिर निर्माण की सभी शास्त्रीय प्रक्रियाएँ पूर्ण हो चुकी हैं और वह ध्वज, जो कभी अयोध्या में रामराज्य का प्रतीक बनकर लहराता था, आज पुनः आकाश में ऊँचा उठ रहा है।

अपने उद्बोधन में भागवत ने राम राज्य के ध्वज पर अंकित रघुकुल प्रतीक—कोविदार वृक्ष का उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि यह वृक्ष त्याग, संरक्षण और लोककल्याण का प्रतीक है, जो स्वयं धूप में खड़े होकर दुनिया को छाया और फल प्रदान करता है।
भागवत के अनुसार, यही रघुकुल और भारतीय संस्कृति का मूल दर्शन रहा है।

सूर्य देव के उदाहरण के माध्यम से उन्होंने समझाया कि संकल्प की सिद्धि शक्ति और सत्व के मेल से होती है। उन्होंने कहा कि हिंदू समाज ने साढ़े पाँच सौ वर्षों तक अपने धैर्य, संयम और श्रद्धा को बनाए रखा और आज उसी सत्व का फल है कि रामलला भव्य मंदिर में विराजमान हैं। भागवत ने यह भी कहा कि जिस रूप की कल्पना संतों और कार्यकर्ताओं ने की थी, उससे कहीं अधिक भव्य रूप में मंदिर साकार हुआ है—यह हिंदू समाज की दृढ़ता और संकल्प की विजय है।

उन्होंने आगे कहा, "छाया बांटने वाले भारत का निर्माण अब शुरू हो चुका है। हमें विपरीत परिस्थितियों में भी काम जारी रखना है। यह संकल्प की पुनरावृत्ति का दिवस है। हमें ऐसा भारत खड़ा करना है जो दुनिया को शांति, सुख और सहयोग दे सके। यह विश्व की अपेक्षा भी है और हमारा कर्तव्य भी।"

समारोह के दौरान उपस्थित श्रद्धालुओं ने ‘जय श्री राम’ के जयकारों से वातावरण को भक्तिमय बना दिया और इस ऐतिहासिक क्षण के साक्षी बने।