मुजफ्फरपुर में विश्व रंगमंच दिवस पर संगोष्ठी, नाट्य प्रस्तुतियों ने मोहा मन
- Post By Admin on Mar 28 2025

मुजफ्फरपुर : जिले के आमगोला स्थित शुभानंदी सभागार में विश्व रंगमंच दिवस के अवसर पर नवसंचेतन मुजफ्फरपुर और निर्माण रंगमंच हाजीपुर के संयुक्त तत्वावधान में एक संगोष्ठी आयोजित की गई। इसमें रंगमंच की वर्तमान दशा और दिशा पर विचार विमर्श के साथ दो एकल नाट्य प्रस्तुतियां भी हुईं।
संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए डॉ. संजय पंकज ने कहा कि रंगमंच आज भी अपनी सार्थकता बनाए हुए है, जबकि सिनेमा देखने की प्रवृत्ति धीरे-धीरे कम हो रही है। उन्होंने मुजफ्फरपुर को बिहार की सांस्कृतिक राजधानी बताते हुए यहां के रंगकर्मियों को प्रेक्षागृह की कमी के कारण लगातार नाट्य प्रस्तुतियां न कर पाने की समस्या का सामना करने पर चिंता जताई। उन्होंने सरकार, प्रशासन और जनप्रतिनिधियों से इस दिशा में ठोस कदम उठाने की मांग की।
"रंगमंच, समाज और संस्कृति की पहचान"
विख्यात रंगकर्मी क्षितिज प्रकाश ने कहा कि बड़े मंच की अनिवार्यता नहीं है, नाटकों को चौक-चौराहों से लेकर छोटे समूहों के बीच भी प्रस्तुत किया जा सकता है। यशवंत पराशर ने दर्शकों के रंगमंच के प्रति आकर्षण बनाए रखने के लिए निरंतर प्रयास करने की जरूरत बताई। संजीव साहू ने कहा कि मुजफ्फरपुर की रंगमंचीय परंपरा समृद्ध रही है और इसे नई ऊंचाइयों तक ले जाने के लिए प्रयास जारी रहने चाहिए।
कार्यक्रम में वयोवृद्ध रंगकर्मी एचएल गुप्ता, मुकेश त्रिपाठी, अविनाश तिरंगा, राजीव कुमार, कुमार विरल, रमेश रत्नाकर, मधुमंगल ठाकुर, हरिकिशोर प्रसाद सिंह, प्रणय कुमार, डॉ. केशव किशोर कनक, इम्ब्रान, अमीर हम्ज़ा, दीनबंधु, चैतन्य चेतन, कृशानु सहित अन्य रंगकर्मियों ने भी अपने विचार रखे। सभी ने मिलकर मुजफ्फरपुर में नाट्य प्रस्तुतियों को पुनर्जीवित करने के लिए हर संभव सहयोग देने का संकल्प लिया।
एकल नाट्य प्रस्तुतियों ने बांधा समां
इस अवसर पर यशवंत और पवन की एकल नाट्य प्रस्तुतियों ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। इनके सशक्त अभिनय और प्रस्तुति ने कार्यक्रम को जीवंत बना दिया। संचालन सुमन वृक्ष ने किया, जबकि स्वागत और धन्यवाद ज्ञापन प्रमोद आजाद ने दिया। इस संगोष्ठी ने रंगमंच को पुनर्जीवित करने की दिशा में एक नई चेतना जगाने का कार्य किया और रंगकर्मियों के उत्साह को एक नई ऊर्जा प्रदान की।