राष्ट्रकवि दिनकर की पुण्यतिथि पर रश्मिरथी पर्व का होगा आयोजन, दिनकर को भारत रत्न देने की उठी मांग

  • Post By Admin on Apr 21 2025
राष्ट्रकवि दिनकर की पुण्यतिथि पर रश्मिरथी पर्व का होगा आयोजन, दिनकर को भारत रत्न देने की उठी मांग

मुजफ्फरपुर : राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की 51वीं पुण्यतिथि के अवसर पर 24 अप्रैल 2025, गुरुवार को राजधानी के बापू सभागार में भव्य ‘रश्मिरथी पर्व एवं विशद विमर्श’ का आयोजन किया जाएगा। यह आयोजन राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर स्मृति न्यास, दिल्ली के तत्वावधान में दोपहर 2 बजे से शुरू होगा।

कार्यक्रम की जानकारी देते हुए साहित्यकार डॉ. संजय पंकज ने आमगोला स्थित शुभानंदी परिसर में आयोजित प्रेसवार्ता में बताया कि इस अवसर पर वरिष्ठ राष्ट्रचेतना कवि बलवीर सिंह करुण की महाकाव्यात्मक रचना ‘सचल हिमालय दिनकर’ तथा दिनकर जी के पुत्र स्वर्गीय केदारनाथ सिंह की काव्यकृति ‘थोड़ा-थोड़ा पुण्य थोड़ा-थोड़ा पाप’ का लोकार्पण किया जाएगा।

इस आयोजन में राष्ट्रकवि दिनकर सम्मान भी प्रदान किया जाएगा, जो विभिन्न क्षेत्रों में विशिष्ट योगदान देने वाले लोगों को दिया जाएगा। साथ ही ‘वर्तमान समय में दिनकर काव्य की प्रासंगिकता’ विषय पर एक विशद विमर्श आयोजित होगा, जिसमें राष्ट्रीय स्तर के कई विद्वान विचार साझा करेंगे।

डॉ. पंकज ने कहा कि दिनकर जी का महाकाव्य रश्मिरथी अपनी सहज भाषा और मानवीय मूल्यों के कारण जन-जन की जुबान पर है। उन्होंने बताया कि जाने-माने रंगकर्मी मुजीब खान के निर्देशन में रश्मिरथी की नाट्य प्रस्तुति देशभर में चर्चित रही है, और अब यह प्रस्तुति पटना में भी देखने को मिलेगी।

प्रेसवार्ता में मौजूद डॉ. अविनाश तिरंगा ने कहा कि समारोह के माध्यम से भारत सरकार से यह मांग भी रखी जाएगी कि राष्ट्रकवि दिनकर को भारत रत्न से सम्मानित किया जाए। वहीं, समाजसेवी मुकेश त्रिपाठी, मधु मंगल ठाकुर और संजीव साहू ने सरकार से यह मांग भी की कि सिमरिया में गंगा नदी पर निर्माणाधीन पुल का नाम ‘दिनकर सेतु’ रखा जाए।

कार्यक्रम में पूर्व केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे तथा दिनकर जी के पौत्र ऋत्विक उदयन की सक्रिय सहभागिता रहेगी। न्यास के अध्यक्ष नीरज कुमार देशभर में साहित्य, शिक्षा और संस्कृति के क्षेत्र में दिनकर चेतना को जागृत करने का कार्य कर रहे हैं।

प्रेसवार्ता में चैतन्य चेतन, कुमार कृशानु समेत कई युवा साहित्यप्रेमी व प्रबुद्धजन उपस्थित थे। वक्ताओं ने युवाओं से अपील की कि वे इस आयोजन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लें और अपने गौरवशाली साहित्यिक विरासत से जुड़ें। यह आयोजन न केवल स्मरण और सम्मान का, बल्कि दिनकर जी की विचारधारा को आगे बढ़ाने का ऐतिहासिक अवसर होगा।