जिला बार एसोसिएशन लखीसराय में गहराया नेतृत्व संकट, अधिवक्ताओं में असंतोष

  • Post By Admin on Dec 26 2025
जिला बार एसोसिएशन लखीसराय में गहराया नेतृत्व संकट, अधिवक्ताओं में असंतोष

लखीसराय : जिला बार एसोसिएशन, लखीसराय इन दिनों गंभीर नेतृत्व एवं प्रशासनिक संकट के दौर से गुजर रहा है। वर्ष 2023–2025 के लिए निर्वाचित समिति पर धन-लोलुपता, अक्षमता, अदूरदर्शिता और मनमानी कार्यशैली के आरोप लग रहे हैं, जिससे न केवल संघ की साख प्रभावित हुई है, बल्कि अधिवक्ताओं की गरिमा और न्यायालयीन वातावरण पर भी प्रतिकूल असर पड़ा है।

संघ की कार्यप्रणाली से क्षुब्ध अधिवक्ताओं ने लोकतांत्रिक एवं विधिसम्मत तरीके से आम सभा का आयोजन किया। इस आम सभा में निवर्तमान सचिव को पद से अपदस्थ कर दिया गया, वहीं अधिकांश निर्वाचित कार्यकारिणी सदस्यों एवं पदाधिकारियों ने अपने इस्तीफे सौंपे, जिन्हें आम सभा ने विधिवत स्वीकार कर लिया। अधिवक्ताओं का कहना है कि आम सभा, जो बार एसोसिएशन का सर्वोच्च निकाय है, उसके निर्णयों के बावजूद अपदस्थ सचिव को संरक्षण दिया जाना लोकतांत्रिक मूल्यों के विपरीत और पीड़ादायक है।

अधिवक्ताओं का आरोप है कि समस्याओं के समाधान के बजाय संरक्षण और प्रोत्साहन का रास्ता अपनाया जा रहा है। संघ में व्याप्त कुव्यवस्था, भ्रष्टाचार, वित्तीय अपारदर्शिता और मॉडल रूल्स के उल्लंघन को लेकर कई बार शिकायतें की गईं, लेकिन अब तक किसी भी मामले में प्रभावी कार्रवाई नहीं हुई।

स्थिति यह है कि अब तक न तो नियमित आम सभा का आयोजन किया गया और न ही आय-व्यय का पारदर्शी लेखा-जोखा प्रस्तुत किया गया। इससे संघ के भीतर असंतोष बढ़ता गया और बार एसोसिएशन के राजनीतिक अखाड़ा बन जाने के आरोप भी सामने आए हैं। अधिवक्ताओं का कहना है कि इसका सीधा असर न्यायालयीन व्यवस्था पर पड़ रहा है और न्याय के लिए आने वाले पक्षकारों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

अधिवक्ता समुदाय ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि बार एसोसिएशन किसी व्यक्ति या पद का नहीं, बल्कि लोकतांत्रिक मूल्यों और विधि के शासन का संस्थान है। आम सभा के निर्णय सर्वोपरि हैं और उनकी अवहेलना किसी भी सूरत में स्वीकार्य नहीं होगी।

संघ के सदस्यों ने यह भी संकेत दिया है कि वे एकजुट, सजग और विधिसम्मत तरीके से लोकतांत्रिक संघर्ष के लिए तैयार हैं। आवश्यकता पड़ने पर संघ की स्वायत्तता, गरिमा और पारदर्शिता की रक्षा हेतु हर स्तर पर आवाज उठाई जाएगी। अधिवक्ताओं को विश्वास है कि यह संघर्ष न केवल लखीसराय बल्कि पूरे बिहार में एक आदर्श, जवाबदेह और पारदर्शी बार एसोसिएशन मॉडल स्थापित करने की दिशा में अहम कदम साबित होगा।