न्यायिक फैसलों पर सियासी बयानबाज़ी लोकतंत्र के लिए खतरा : रजनीश कुमार
- Post By Admin on Dec 28 2025
लखीसराय : न्यायपालिका की स्वतंत्रता और गरिमा पर सार्वजनिक मंच से की गई टिप्पणी को लेकर अधिवक्ता रजनीश कुमार ने कड़ा रुख अपनाया है। उन्होंने बिहार के वरिष्ठ जनप्रतिनिधि विजय कुमार सिन्हा द्वारा एक न्यायाधीश के न्यायिक निर्णय पर दिए गए सार्वजनिक बयान को निंदनीय, आपत्तिजनक और सर्वथा अस्वीकार्य बताया।
अधिवक्ता रजनीश कुमार ने कहा कि इस प्रकार के बयान न केवल न्यायिक प्रक्रिया पर अनावश्यक दबाव बनाते हैं, बल्कि आम जनता के मन में न्याय व्यवस्था के प्रति अविश्वास भी उत्पन्न करते हैं, जो लोकतंत्र के मूल सिद्धांतों के प्रतिकूल है।
उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय के महत्वपूर्ण निर्णयों का उल्लेख करते हुए कहा कि E.M.S. Namboodiripad बनाम केरल राज्य तथा P.N. Duda बनाम पी. शिव शंकर मामलों में स्पष्ट किया गया है कि न्यायिक निर्णयों की आलोचना केवल संयमित, मर्यादित और जिम्मेदार भाषा में ही की जा सकती है। वहीं In Re: प्रशांत भूषण प्रकरण में यह दोहराया गया कि न्यायपालिका की प्रतिष्ठा को ठेस पहुँचाने वाले बयान आपराधिक अवमानना की श्रेणी में आ सकते हैं।
अधिवक्ता ने कहा कि यदि किसी को न्यायालय के निर्णय से असहमति है, तो संविधान ने उसके लिए अपील का वैधानिक मार्ग प्रदान किया है। मीडिया या सार्वजनिक मंचों के माध्यम से न्यायाधीशों को कटघरे में खड़ा करना संवैधानिक मर्यादाओं का उल्लंघन है। जनप्रतिनिधियों से यह अपेक्षा की जाती है कि वे अपने पद की गरिमा और उत्तरदायित्व का पालन करें।
इसी क्रम में रजनीश कुमार ने पटना उच्च न्यायालय से आग्रह किया है कि उक्त बयान पर गंभीर संज्ञान लेते हुए अवमानना अधिनियम, 1971 के तहत आवश्यक कार्रवाई पर विचार किया जाए, ताकि भविष्य में न्यायपालिका की गरिमा पर प्रहार करने वाली ऐसी प्रवृत्तियों पर प्रभावी रोक लगाई जा सके। उन्होंने कहा, “न्यायपालिका का सम्मान ही संविधान का सम्मान है।”