रामलला प्राण प्रतिष्ठा की द्वितीय वर्षगाँठ पर पर्यावरण भारती का पौधारोपण अभियान

  • Post By Admin on Dec 31 2025
रामलला प्राण प्रतिष्ठा की द्वितीय वर्षगाँठ पर पर्यावरण भारती का पौधारोपण अभियान

लखीसराय : श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में रामलला मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की द्वितीय वर्षगाँठ के पावन अवसर पर पर्यावरण भारती द्वारा पर्यावरण संरक्षण का संदेश देते हुए पौधारोपण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस दौरान देववृक्ष पीपल, पाकड़ तथा फलदार आम के पौधे लगाए गए। कार्यक्रम का नेतृत्व प्रसिद्ध पर्यावरणविद नवीन निराला ने किया।

नवीन निराला ने कहा कि पर्यावरण संतुलन बनाए रखने के लिए वृक्षारोपण अभियान को प्रत्येक मानव का दायित्व बनाना होगा। यदि समय रहते प्रकृति की रक्षा नहीं की गई, तो आने वाले समय में प्राकृतिक ऑक्सीजन की भारी कमी हो सकती है और मानव को कृत्रिम ऑक्सीजन पर निर्भर होना पड़ेगा। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि जीवन बचाने के लिए ऑक्सीजन सिलेंडर साथ लेकर चलने जैसी स्थिति भी उत्पन्न हो सकती है।

पर्यावरण भारती के संस्थापक राम बिलास शाण्डिल्य ने कहा कि भगवान श्रीराम के स्मरण में किया गया पौधारोपण एक पुनीत और दूरदर्शी कार्य है। वृक्ष परोपकारी होते हैं, वे मानव से कुछ नहीं लेते बल्कि शुद्ध ऑक्सीजन, फल, फूल, लकड़ी और पत्तों के माध्यम से मानव कल्याण करते हैं। उन्होंने वृक्षों को विज्ञान के युग में साक्षात भगवान भोलेनाथ की संज्ञा देते हुए कहा कि पेड़ जहरीली कार्बन डाइऑक्साइड को स्वयं ग्रहण कर मानव को जीवनदायिनी ऑक्सीजन प्रदान करते हैं। यही कारण है कि प्राचीन काल से भारत में वृक्षों की पूजा और वंदना की परंपरा रही है।

शाण्डिल्य ने जानकारी दी कि अयोध्या मंदिर ट्रस्ट के निर्णय के अनुसार रामलला मंदिर प्राण प्रतिष्ठा की वर्षगाँठ हिंदी पंचांग के अनुसार पौष मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि, जिसे प्रतिष्ठा द्वादशी या कुर्म द्वादशी भी कहा जाता है, को मनाई जाती है। संयोगवश यह तिथि इस वर्ष अंग्रेजी कैलेंडर के 31 दिसंबर 2025 को पड़ी, जिससे इस दिन किया गया पौधारोपण कार्यक्रम और भी स्मरणीय बन गया।

इस अवसर पर आयोजित पौधारोपण कार्यक्रम में नवीन निराला, शिवम पटेल, आशुतोष कुमार, सागर मेहता, कंपनी तांती, राम बिलास शाण्डिल्य, मनीष कुमार, शुभम कुमार सहित कई कार्यकर्ताओं ने सक्रिय भागीदारी की। कार्यक्रम के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण और धार्मिक आस्था के समन्वय का सशक्त संदेश दिया गया।