विश्व जल दिवस और बिहार दिवस पर पर्यावरण भारती का पौधारोपण अभियान संपन्न

  • Post By Admin on Mar 22 2025
विश्व जल दिवस और बिहार दिवस पर पर्यावरण भारती का पौधारोपण अभियान संपन्न

पटना : 22 मार्च 2025 को राजधानी पटना के राजेंद्र नगर में पर्यावरण भारती द्वारा विश्व जल दिवस और बिहार दिवस के अवसर पर भव्य पौधारोपण अभियान चलाया गया। इस मौके पर आम, अमरूद, बेल और पूजनीय वृक्ष समी समेत कुल 10 पौधे लगाए गए। पौधारोपण का नेतृत्व पर्यावरण भारती के पटना महानगर पेड़ उपक्रम प्रमुख हिमालय ने किया।

कार्यक्रम में उपस्थित पर्यावरण भारती के संस्थापक और पर्यावरण संरक्षण गतिविधि के प्रांत संयोजक राम बिलास शांडिल्य ने वृक्षारोपण का महत्व बताते हुए कहा कि जलवायु परिवर्तन और प्राकृतिक आपदाओं से बचने के लिए वृक्षारोपण बेहद आवश्यक है। उन्होंने कहा कि केवल पेड़ लगाना ही नहीं, बल्कि कम से कम पांच वर्षों तक उनकी सुरक्षा करना भी हम सभी की जिम्मेदारी है। शांडिल्य ने चिंता जाहिर करते हुए बताया कि हाल ही में बिहार में आकाशीय बिजली गिरने से दो लोगों की मौत हुई, जो प्रकृति के असंतुलन का संकेत है। पर्यावरण भारती की स्थापना वर्ष 2008 में राजेंद्र नगर, पटना से वृक्षारोपण के उद्देश्य से की गई थी। अब तक संस्था ने बिहार समेत देश के अन्य राज्यों में 1,21,023 पेड़ लगाए हैं। हाल ही में 8 मार्च 2025 को उत्तर प्रदेश के नैमिषारण्य, सीतापुर में भी पांच फलदार पौधे लगाए गए।

शांडिल्य ने बिहार के इतिहास और सांस्कृतिक विरासत पर प्रकाश डालते हुए बताया कि 22 मार्च 1912 को बिहार राज्य अस्तित्व में आया। इससे पूर्व बिहार बंगाल प्रेसीडेंसी का हिस्सा था। बाद में 15 नवंबर 2000 को बिहार से अलग होकर झारखंड राज्य बना। उन्होंने बताया कि बिहार की राजभाषा हिंदी है, वहीं मैथिली, भोजपुरी, मगही और अंगिका जैसी भाषाएं भी यहां बोली जाती हैं। बिहार का सबसे बड़ा रेलवे स्टेशन पटना जंक्शन है, जहां प्रतिदिन करीब 300 रेलगाड़ियां गुजरती हैं। बिहार का राजकीय फूल गेंदे का, राजकीय फल आम, राजकीय मिठाई जलेबी और राजकीय भोजन लिट्टी-चोखा है। उन्होंने बताया कि बिहार का प्राचीन नाम 'विहार' है, जो बौद्ध मठों से जुड़ा है। यही कारण है कि बौद्ध और जैन धर्म की शुरुआत भी बिहार की भूमि से हुई है। इस वर्ष बिहार दिवस का नारा है - "जन-जन का नारा है, अपना बिहार सबसे न्यारा है" और थीम है - "विकसित बिहार"।

कार्यक्रम के दौरान पर्यावरण भारती के जल उपक्रम प्रांत प्रमुख रणधीर कुमार सिन्हा ने विश्व जल दिवस का महत्व बताते हुए कहा कि 22 मार्च 1993 को पहली बार विश्व जल दिवस मनाया गया था। इसका उद्देश्य है मानव समाज को जल संरक्षण के प्रति जागरूक करना। उन्होंने कहा कि जल है तो कल है, इसलिए जल स्रोतों की सुरक्षा और वर्षा जल संचयन जैसे उपायों को अपनाना बेहद जरूरी है। उन्होंने बताया कि पटना में भूगर्भीय जलस्तर मार्च महीने में ही 13 फीट नीचे चला गया है, जबकि गर्मी का असली दौर अभी आना बाकी है। यदि समय रहते जल संरक्षण के ठोस प्रयास नहीं किए गए तो भविष्य में जल संकट विकराल रूप ले सकता है। इस मौके पर उन्होंने कहा कि आने वाला विश्व युद्ध पानी के लिए होगा, यह कोई कल्पना नहीं बल्कि एक ध्रुव सत्य है। उन्होंने याद दिलाया कि 22 मार्च 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना महामारी के दौरान 'जनता कर्फ्यू' का आह्वान किया था और इसी दिन देशभर में शाम को कोरोना योद्धाओं के सम्मान में ताली-थाली बजाई गई थी। ऐसे ऐतिहासिक दिन पर पौधारोपण अभियान का आयोजन अत्यंत महत्वपूर्ण कार्य है।

पौधारोपण कार्यक्रम में हिमालय, रणधीर कुमार सिन्हा, राम बिलास शांडिल्य, रामजी कुमार, महेश शर्मा, मनोज कुमार गिरि, रोहित कुमार, मदन शर्मा, पंकज कुमार, रंजीत दास और अमित कुमार सिंह समेत कई पर्यावरण प्रेमियों ने भाग लिया और पर्यावरण संरक्षण का संकल्प लिया।