शिशु आहार पूर्ति पर दो दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का आयोजन
- Post By Admin on Dec 20 2024

लखीसराय : जिला मुख्यालय के सदर अस्पताल परिसर में गुरुवार को आईवाईसीएफ (इनफैंट एंड यंग चाइल्ड फीडिंग) योजना के तहत शिशु एवं बच्चों की आहार पूर्ति पर केंद्रित दो दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का शुभारंभ हुआ। इस कार्यक्रम का उद्घाटन सिविल सर्जन डॉ. विनोद प्रसाद सिन्हा, सदर अस्पताल उपाधीक्षक डॉ. राकेश कुमार और चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. विभूषण कुमार ने दीप प्रज्वलित कर किया।
सिविल सर्जन ने बताया कि इस प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य शिशुओं को जन्म के पहले घंटे के भीतर मां का दूध पिलाने की प्रक्रिया को बढ़ावा देना है। यह प्रशिक्षण खासकर उन स्टाफ नर्सों के लिए आयोजित किया गया है जो प्रसव संबंधी कार्य देखती हैं। प्रशिक्षण में मां के दूध को शिशु के लिए सर्वोत्तम आहार बताते हुए इसे नवजात शिशु के लिए अनिवार्य बताया गया।
प्रशिक्षण के दौरान बताया गया कि शिशु को जन्म के पहले एक घंटे के भीतर मां का दूध पिलाना अत्यंत आवश्यक है। पहले छह महीनों तक केवल मां का दूध दिया जाना चाहिए। इसके बाद ऊपरी आहार शुरू किया जा सकता है। मां के दूध का पहला गाढ़ा भाग (कोलोस्ट्रम) नवजात के लिए बेहद लाभकारी होता है क्योंकि यह उसे संक्रमण से बचाता है। इसके अलावा, मां का दूध बच्चे को दो साल तक दिया जाना चाहिए। साथ ही उसके साथ ऊपरी आहार भी दिया जा सकता है जो शिशु के समग्र विकास के लिए जरूरी है।
सदर अस्पताल के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. विभूषण कुमार और नर्सिंग ट्यूटर पूजा कुमारी ने प्रशिक्षण दिया। उन्होंने शिशु को दूध पिलाने के सही तरीके, इसके लाभ और मां व बच्चे की सेहत पर इसके सकारात्मक प्रभावों पर विस्तार से चर्चा की।
शिविर में जिले के विभिन्न प्रखंडों और अस्पतालों से 25 जीएनएम (जनरल नर्सिंग मिडवाइफरी) ने भाग लिया। जिला कार्यक्रम प्रबंधक और जिला योजना समन्वयक ने कार्यक्रम का संचालन किया।
प्रशिक्षण के दौरान स्वास्थ्य कर्मियों को बताया गया कि शिशु को मां के दूध के अलावा अन्य कोई चीज जैसे पानी, चाय या घूंट्टी नहीं देनी चाहिए। साथ ही, मां को अपने आहार में पोषक तत्वों से भरपूर चीजें जैसे फल, सब्जियां, दूध, दाल और चना शामिल करने की सलाह दी गई।
डॉ. राकेश कुमार ने आने वाले गर्मी के मौसम को ध्यान में रखते हुए बच्चों की देखभाल में सतर्कता बरतने की अपील की। यह प्रशिक्षण शिशुओं की बेहतर सेहत और उनके विकास को सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।