पटना में चिपको आंदोलन की 51वीं वर्षगांठ पर पर्यावरण भारती ने किया पीपल का पौधारोपण

  • Post By Admin on Mar 26 2025
पटना में चिपको आंदोलन की 51वीं वर्षगांठ पर पर्यावरण भारती ने किया पीपल का पौधारोपण

पटना : चिपको आंदोलन की 51वीं वर्षगांठ के अवसर पर पर्यावरण भारती की ओर से सोमवार को विशेष पौधारोपण कार्यक्रम आयोजित किया गया। राजधानी पटना में आयोजित इस कार्यक्रम में देव वृक्ष पीपल के पांच पौधे लगाए गए। पौधारोपण का नेतृत्व महानगर पेड़ उपक्रम प्रमुख हिमालय ने किया।

पर्यावरण भारती के संस्थापक और पर्यावरण संरक्षण गतिविधि के प्रांत संयोजक राम बिलास शाण्डिल्य ने इस मौके पर कहा कि चिपको आंदोलन भारत में पर्यावरण संरक्षण की ऐतिहासिक पहल थी, जिसकी शुरुआत 26 मार्च 1974 को उत्तराखंड के चमोली जिले के रैणी गांव से हुई थी। जहां गौरा देवी के नेतृत्व में 27 महिलाओं ने जंगल में जाकर पेड़ों से लिपटकर कटाई का विरोध किया था। इसी आंदोलन को प्रसिद्ध पर्यावरणविद सुंदरलाल बहुगुणा ने 'चिपको आंदोलन' नाम दिया।

राम बिलास शाण्डिल्य ने कहा कि चिपको आंदोलन पूरी तरह अहिंसात्मक था और यह देश में पर्यावरण सुरक्षा के लिए मील का पत्थर साबित हुआ। उन्होंने बताया कि इससे पहले 1730 में राजस्थान के खेजड़ली गांव में अमृता देवी और उनकी तीन बेटियों समेत 363 विश्नोई समाज के लोगों ने पेड़ों की रक्षा के लिए प्राणों की आहुति दी थी, जिसे 'खेजड़ली नरसंहार' के नाम से जाना जाता है। इसके बाद देश के विभिन्न हिस्सों में पर्यावरण संरक्षण की कई मिसालें बनीं। 1980 में झारखंड में 'जंगल बचाओ आंदोलन', 1970 में केरल में 'साइलेंट वैली आंदोलन' और 1983 में कर्नाटक में 'अप्पिको आंदोलन' शुरू हुए, जिनका उद्देश्य जंगलों और पेड़ों की रक्षा करना था।

शाण्डिल्य ने कहा कि आज बिहार में भी चिपको आंदोलन जैसी मुहिम की जरूरत है। पर्यावरण और वृक्षों के दुश्मनों को जवाब देने का समय आ गया है। हमें कहना होगा— "पहले हमको काटो, फिर पेड़ काटो"। ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु संकट के इस दौर में पेड़ लगाना ही नहीं, उनकी रक्षा करना भी हमारी जिम्मेदारी है।

इस मौके पर आयोजित पौधारोपण कार्यक्रम में चन्द्रशेखर आजाद, दिनेश गुप्ता, निजीत कुमार, नीरज नयन, श्याम राय, विनय कुमार सिंह, राजीव कुमार सिंह (बलमा बिहारी), डॉ. सुनील कुमार, प्रो. विनय बिहारी सहित कई सामाजिक कार्यकर्ता और पर्यावरण प्रेमी शामिल हुए। कार्यक्रम के अंत में सभी ने चिपको आंदोलन की ऐतिहासिक विरासत को आगे बढ़ाने और अधिक से अधिक वृक्षारोपण करने का संकल्प लिया।