लखीसराय : नगर परिषद के सभापति-उपसभापति हुए आमने-सामने, लगाए गंभीर आरोप
- Post By Admin on Mar 02 2024
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लखीसराय : नगर परिषद लखीसराय में सब कुछ सही नहीं चल रहा है। कह सकते हैं कि आपसी सामंजस्य के अभाव में शहर का विकास कार्य द्वेषपूर्ण राजनीति का शिकार होकर रह गया है। हालांकि इसकी शुरूआत 27 फरवरी 2024 को पुलिस अधीक्षक को ऑनलाइन आवेदन भेजकर नगर परिषद सभापति अरविन्द पासवान ने ही किया है। दिए आवेदन में उन्होंने अपने आवेदन को संरक्षित करने की मांग प्रेषित करते हुए सीधे तौर पर कहा है कि उनके ऊपर किसी भी तरह का कोई भी घटना घटती है तो इसके जिम्मेदार स्थानीय विधायक सह उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा एवं उपसभापति नगर परिषद लखीसराय शिवशंकर राम होंगे। आवेदन में सभापति श्री पासवान ने इस आवेदन को संचिका में सुरक्षित करने का अगर किया है ताकि यह सनहा भविष्य में काम आ सके।
इसी आवेदन के आलोक में उपसभापति शिवशंकर राम के द्वारा पुलिस अधीक्षक को बीते 01 मार्च 2024 को लिखित आवेदन देकर सभापति अरविन्द पासवान एवं उनके गुर्गों सहित पोषित बिचौलियों एवं नगर परिषद के वैध व अवैध कर्मियों से सुरक्षा प्रदान करने की गुहार लगाई गई है। जिसके पीछे के कारणों का उल्लेख करते हुए दिए आवेदन में उपसभापति शिवशंकर राम ने कहा है कि नगर पालिका निर्वाचन चुनाव 2022 में सीधे आम जनता के मत से लखीसराय नगर परिषद में सभापति-उपसभापति चुनकर आएं हैं। वर्ष 2022 के पूर्व वार्ड पार्षदों के मतदान पर सभापति एवं उपसभापति का चुनाव कराया जाता था। वर्ष 2022 के पूर्व नगरपालिका अधिनियम 2007 के एक्ट के किसी धारा/उपधारा में सभापति एवं उपसभापति को योजनाओं में अनुशंसा का प्रावधान नहीं है एवं निर्वाचन के पश्चात बिहार सरकार द्वारा नगरपालिका अधिनियम 2007 में सभापति/उपसभापति के कार्यों को लेकर किसी प्रकार का संशोधन तक नहीं किया गया है। बावजूद इसके सभापति एवं उनके गुर्गों द्वारा कार्यपालक पदाधिकारी एवं नगर परिषद के कर्मी एवं बिचौलियों के माध्यम से अवैध राशि की उगाही, कमीशन राशि वसूलने, अवैध रूप से भुगतान करने, 10 करोड़ से अधिक राशि चेक से निकालने सहित एक साल में ही 27 करोड़ की राशि योजनाओं के अनुशंसा के माध्यम से स्वीकृत कर योजनाओं में 20 से 25 प्रतिशत तक कमीशनखोरी करने, कम कीमत की सामग्री अधिक कीमत में क्रय करने से लेकर एनजीओ के जरिए साफ-सफाई के नाम पर 55 लाख प्रतिमाह अवैध भुगतान कर राशि निकालने, बस स्टैंड बंदोबस्ती के नाम पर 2 करोड़ प्रति वर्ष गबन करने सहित कई अन्य माध्यम से भ्रष्टाचार रोकने हेतु उनके द्वारा विरोध किया जाता रहा है। जिसे लेकर ही आवेदन में उपसभापति ने स्वयं एवं अपने परिवार के सदस्यों की हत्या कराने, कार्यालय के किसी झूठे मुकदमें में फंसाने एवं एससी/एसटी केस में फंसाने की धमकी भी देने का आरोप सभापति पर लगाया गया है। साथ ही साथ पुलिस अधीक्षक से सभापति पर लगाए जा रहे सभी आरोपों की जांच करते हुए भ्रष्टाचार में लिप्त सभापति के अलावा कार्यपालक पदाधिकारी, नगर प्रबंधक एवं कार्यालय के बिचौलिए से मुक्ति प्रदान करते हुए कार्यवाई करने की गुहार लगाई है। उपसभापति शिवशंकर राम ने भी आवेदन को सनहा के रूप में दर्ज करते हुए कहा है कि उनके या उनके परिवार के उपर कोई भी घटना होती है तो इसकी जवाबदेही सभापति एवं उनके पोषित गुर्गे एवं नगर परिषद कार्यालय के वैध/अवैध कर्मी की होगी।
बहरहाल दोनों की तरफ से जान-माल के खतरे की आशंका जाहिर करने संबंधी सनहा दर्ज करने का मामला सामने आने से आम जनों में उहापोह की स्थिति है कि आखिर ऐसा क्या हो गया कि दोनों एक साथ विकास की नींव रखने की बजाय एक दूसरे के आमने-सामने है। दबी जुबान में कार्यालय के कर्मी कहते हैं कि भ्रष्टाचार के मामले में कमीशनखोरी का बंदरबांट मनमाफिक नहीं होने से कलह धरातल पर खुलकर सामने आ गई है। ऐसे में नगर परिषद लखीसराय के सभापति अरविन्द पासवान का कहना है कि सरकार के यहां पूरे बिहार के उपसभापति गए थे। सरकार ने उनके विरूद्ध फैसला दिया कि उपसभापति को वित्तीय शक्ति नहीं है। इसी तिलमिलाहट में उपसभापति उन्हें फंसाने का हरसंभव कोशिश करने का काम कर रहे हैं। यहां तक कि उन्हें नरसंहार मामले में भी पर्दें के पीछे से उलझाने की भरपूर कोशिश कर चुके हैं। उनके साथ क्षेत्रीय विधायक सह सूबे के उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा है। उन पर लगाया जा रहा सारा आरोप बेबुनियाद और निराधार है।