जनसंख्या वृद्धि के साथ जनसंख्या असंतुलन भी चिंता का विषय

  • Post By Admin on Jul 13 2023
जनसंख्या वृद्धि के साथ जनसंख्या असंतुलन भी चिंता का विषय

जयपुर: विश्व जनसंख्या दिवस के अवसर पर मंगलवार को मानसरोवर में मनसंचार विमर्श समूह द्वारा 'लैंगिक समानता की शक्ति' थीम को लेकर चर्चात्मक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। चर्चा में प्रतिभागियों ने यह मान्यता दिलाई कि विश्व की अनंत संभावनाओं को उजागर करने के लिए विश्व की आधी आबादी, अर्थात् नारी जाति का सशक्तिकरण अत्यंत आवश्यक है।

चर्चा में प्रतिभागियों ने आबादी के बढ़ते संख्यात्मक परिवर्तन के साथ-साथ चिंता भी व्यक्त की। भारत की जनगणना सांख्यिकी रिपोर्ट के अनुसार, 1951 में हिंदू आबादी 84.1% थी, जो 2011 में 80% से भी कम हो गई है, जबकि मुस्लिम आबादी 9.8 प्रतिशत से बढ़कर 14.2% तक पहुंच गई है। यह डेमोग्राफिक परिवर्तन चिंताजनक है, क्योंकि इससे देश की पहचान पर भी खतरा है। वैसे ही, जैन, सिख सहित हिंदू समुदाय की प्रजनन दर 1.6 है, जो मुस्लिम समुदाय की प्रजनन दर 2.6 से काफी कम है। पिछले 50 वर्षों में, बेहद तेजी से बढ़ रही आबादी के कारण ऊर्जा और संसाधनों का अपव्यय बढ़ा है, जिसके कारण पृथ्वी के तापमान में 1.1 डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी हुई है और ग्लोबल वार्मिंग के कारण प्राकृतिक आपदाएं 4 गुना से अधिक बढ़ गई हैं। समुद्री जल स्तर 10 इंच तक बढ़ गया है। आगामी दशक में, यदि आबादी और संसाधनों का अव्यय इसी गति से बढ़ता रहता है, तो यूनाइटेड नेशंस की रिपोर्ट के अनुसार 2030 तक 70 करोड़ से अधिक लोगों को विस्थापित होना पड़ेगा। चिंता का विषय है कि जल की कमी से पीड़ित शहरों में भारत के चार शहर शामिल हैं।

वर्तमान में, भारत विश्व में सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश है, और यहां युवा आबादी भी सबसे अधिक है। हालांकि, घटती प्रजनन दर के कारण आने वाले दो दशकों में हमारी युवा आबादी कम होने की संभावना है। कार्यक्रम की संयोजिका डॉ. गायत्री जेफ ने सभी प्रतिभागियों का आभार व्यक्त किया।