हिंदी साहित्य के पुरोधा प्रो. रामदरश मिश्र का निधन, सीएम योगी ने कहा– अपूरणीय क्षति
- Post By Admin on Nov 01 2025
लखनऊ : हिंदी साहित्य के दिग्गज कवि, कथाकार और आलोचक प्रोफेसर रामदरश मिश्र का 101 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उनका निधन गोरखपुर स्थित आवास पर हुआ, जिससे साहित्यिक जगत में गहरा शोक फैल गया है।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उनके निधन पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए कहा कि यह हिंदी साहित्य के लिए “अपूरणीय क्षति” है। उन्होंने दिवंगत आत्मा की शांति और परिजनों को धैर्य प्रदान करने की प्रार्थना की।
15 अगस्त 1924 को गोरखपुर के डुमरी गांव में जन्मे रामदरश मिश्र ने काशी हिंदू विश्वविद्यालय से उच्च शिक्षा प्राप्त की और अपने जीवन का अधिकांश समय साहित्य, शिक्षा और समाज सेवा को समर्पित किया।
वे हिंदी कविता और कथा साहित्य के ऐसे रचनाकार थे जिन्होंने ग्रामीण जीवन की सादगी, संघर्ष और भारतीय जनमानस के बदलते स्वरूप को बेहद संवेदनशीलता से शब्द दिए। उन्होंने अपने लंबे साहित्यिक जीवन में 150 से अधिक रचनाएं लिखीं, जिनमें 32 कविता संग्रह, कई उपन्यास, कहानी संकलन और आलोचना ग्रंथ शामिल हैं।
उनकी चर्चित कृतियों में ‘मैं तो यहां हूं’, ‘बनाया है मैंने ये घर धीरे-धीरे’ और ‘बिना दरवाजे का मकान’ शामिल हैं। ‘मैं तो यहां हूं’ के लिए उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार और 2021 में ‘बनाया है मैंने ये घर धीरे-धीरे’ के लिए सरस्वती सम्मान से सम्मानित किया गया था।
2025 में उन्हें भारत सरकार द्वारा पद्मश्री सम्मान प्रदान किया गया। साहित्यकारों का कहना है कि रामदरश मिश्र ने हिंदी को गांव-गांव तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और उनकी कविताएं आज भी जनमानस की आवाज हैं।