अतिथि प्राध्यापक अपने मांगों को लेकर पटना में देंगे धरना, शिक्षक संघों ने किया समर्थन
- Post By Admin on Mar 04 2025

मुजफ्फरपुर : बिहार के विभिन्न विश्वविद्यालयों के अतिथि प्राध्यापकों द्वारा उनकी सेवा नियमितीकरण की मांग को लेकर पटना में 6 और 7 मार्च को दो दिवसीय शांतिपूर्ण धरना आयोजित किया जाएगा। इस धरने में सभी विश्वविद्यालयों के अतिथि प्राध्यापक बड़ी संख्या में भाग लेंगे। इस कार्यक्रम को लेकर बिहार विश्वविद्यालय अतिथि प्राध्यापक संघ के अध्यक्ष डॉ. ललित किशोर ने बताया कि प्रशासन से अनुमति प्राप्त कर ली गई है और कॉलेजों में जनसंपर्क अभियान चलाया जा रहा है ताकि अधिक से अधिक संख्या में प्राध्यापक इस धरने में भाग लें।
शिक्षक संघों का नैतिक समर्थन
इस आंदोलन को शिक्षक संघों का भी नैतिक समर्थन प्राप्त हो रहा है। बूस्टा (बिहार विश्वविद्यालय शिक्षक संघ) के कार्यकारी अध्यक्ष प्रो. जयकांत जय ने इस मुद्दे को जायज बताते हुए कहा कि अतिथि प्राध्यापकों की नियुक्ति यूजीसी की अहर्ता के आधार पर विश्वविद्यालय चयन समिति द्वारा की गई है और वे पिछले पांच वर्षों से उच्च शिक्षा में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं। उन्होंने सरकार से जल्द अतिथि प्राध्यापकों की सेवा समायोजन की मांग की है।
वहीं, बूटा (बिहार राज्य विश्वविद्यालय शिक्षक संघ) के महासचिव डॉ. सुनील कुमार सिंह ने भी नैतिक समर्थन व्यक्त करते हुए कहा कि अतिथि प्राध्यापक बिहार के विश्वविद्यालयों में गुणवत्तापूर्ण शैक्षिक माहौल बनाने में अहम भूमिका निभा रहे हैं। यूजीसी गाइडलाइंस के तहत उनकी नियुक्ति की गई थी और वे उच्च शिक्षा को निरंतर गति दे रहे हैं। उन्होंने सरकार से अतिथि प्राध्यापकों की सेवा समायोजन की अपील की और इसे सरकार के लिए सराहनीय कदम बताया।
धरने में शामिल होंगे अतिथि प्राध्यापक
संघ के महासचिव डॉ. राघव कुमार, सचिव डॉ. नितेश कुमार और संयोजक डॉ. सर्वेश्वर कुमार सिंह ने कहा कि पश्चिम चंपारण, पूर्वी चंपारण, वैशाली, हाजीपुर, सीतामढ़ी और मुजफ्फरपुर जैसे जिलों के कॉलेजों से अतिथि प्राध्यापकों ने संपर्क किया है और सभी ने इस आंदोलन में भाग लेने की पुष्टि की है। महिला अतिथि प्राध्यापक भी इस धरने में शामिल होने के लिए तैयार हैं। सभी विश्वविद्यालयों से बड़ी संख्या में महिला अतिथि प्राध्यापक इस आंदोलन में हिस्सा लेंगी।
इस आंदोलन का मुख्य उद्देश्य बिहार सरकार से अतिथि प्राध्यापकों की सेवाओं को नियमित करना है, ताकि उनकी कड़ी मेहनत और योगदान को उचित मान्यता मिल सके और वे शैक्षिक व्यवस्था का हिस्सा बनकर अपने कर्तव्यों को और बेहतर ढंग से निभा सकें।