महाशिवरात्रि पर शिव जयंती समारोह का भव्य आयोजन, आत्मजागृति का दिया संदेश

  • Post By Admin on Feb 26 2025
महाशिवरात्रि पर शिव जयंती समारोह का भव्य आयोजन, आत्मजागृति का दिया संदेश

मुजफ्फरपुर : महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर मुजफ्फरपुर जिले के खरौना डीह गांव में प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के भगवानपुर सेवा केंद्र द्वारा भव्य शिव जयंती समारोह का आयोजन किया गया। इस आयोजन में सैकड़ों श्रद्धालुओं ने भाग लिया और आध्यात्मिक ऊर्जा का अनुभव किया।

समारोह में बताया गया कि परमात्मा शिव का अवतरण इस कलियुग रूपी अंधकार में आध्यात्मिक प्रकाश फैलाने के लिए हुआ है। जैसे सूर्योदय अंधकार को मिटाकर प्रकाश लाता है, वैसे ही परमात्मा शिव हमें आत्मज्ञान और राजयोग द्वारा अज्ञानता से ज्ञान की ओर ले जाते हैं।

कार्यक्रम के दौरान विशेष प्रदर्शनी के माध्यम से श्रद्धालुओं को बताया गया कि शिव और शंकर एक नहीं हैं। शंकर देवता हैं, जबकि परमात्मा शिव अजन्मा, अविनाशी और सर्वशक्तिमान हैं। वे किसी मानव शरीर में जन्म नहीं लेते, बल्कि दिव्य चेतना के रूप में ज्ञान और शक्ति का संचार करते हैं।  

भगवानपुर सेवा केंद्र की संचालिका बी. के. मीरा बहन ने श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि परमात्मा शिव हमें जीवन को श्रेष्ठ और पवित्र बनाने की राह दिखाते हैं। राजयोग से हम अपने विचारों को शुद्ध कर आंतरिक शक्ति को जागृत कर सकते हैं।  

बी. के. लक्ष्मी बहन ने कहा कि मनुष्य बाहरी दुनिया में सुख खोज रहा है, जबकि असली सुख हमारे भीतर ही है। राजयोग से आत्मशक्ति जागृत होती है, जिससे जीवन में आनंद, संतोष और स्थिरता आती है।  

खरौना डीह निवासी प्रभु नारायण सिंह ने बताया कि उनके घर पर राजयोग की निःशुल्क शिक्षा दी जाती है, जिससे कोई भी व्यक्ति आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त कर सकता है। उन्होंने कहा कि राजयोग केवल ध्यान की विधि नहीं, बल्कि जीवन जीने की कला है।  

इस आयोजन में बी. के. रामाशंकर, शिव कुमार, मुकेश, राजकुमार, बी. के. सीता, बी. के. मनोरमा, बी. के. पुष्पा, बी. के. गीता, बी. के. शैल, बी. के. उषा, विजय सिंह समेत कई श्रद्धालु उपस्थित रहे। सभी ने इस आयोजन को आत्मशुद्धि और आत्मजागृति की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बताया।  

श्री सिंह ने कहा कि महाशिवरात्रि केवल एक पर्व नहीं, बल्कि आत्मशक्ति और परमात्मा से जुड़ने का अवसर है। अब यह हमारे हाथ में है कि हम राजयोग की शिक्षा अपनाकर अपने जीवन को श्रेष्ठ और पवित्र बनाएं। जब स्वयं परमात्मा हमें शक्तिशाली बना रहे हैं, तो हम कमजोर क्यों बने रहें? अपने भीतर छिपी आत्मशक्ति को पहचानें और एक शांतिपूर्ण, सफल जीवन की ओर कदम बढ़ाएं।