बिहार में बाढ़ का प्रकोप, फसलें तबाह, सड़कों को भारी नुकसान
- Post By Admin on Sep 25 2024

भागलपुर : बिहार के भागलपुर जिले में गंगा की बाढ़ से होने वाली तबाही अब लोगों की नियति बनती जा रही है। पिछले 12 वर्षों में यह पांचवीं बार है जब गंगा ने विकराल रूप लिया है। इस बार बाढ़ ने लाखों लोगों को प्रभावित किया है, जिससे आवागमन बुरी तरह ठप हो गया है। खासकर जिले की बड़ी आबादी, जो गंगा किनारे बसी हुई है, इस बाढ़ से बार-बार प्रभावित होती रही है। इससे पहले 2013, 2016, 2019 और 2021 में भी गंगा ने अपना रौद्र रूप दिखाया था, और अब 2024 में फिर से इसका कहर देखने को मिल रहा है।
भागलपुर के नाथनगर, सबौर, इस्माईलपुर, नारायणपुर, रंगरा चौक, गोपालपुर, कहलगांव, पीरपैंती, सुल्तानगंज और शाहकुण्ड प्रखंड के क्षेत्र हर साल गंगा की बाढ़ से प्रभावित होते हैं। इस बार भी धान, मक्का, केला और सब्जियों की फसलें बुरी तरह से बर्बाद हो गई हैं। फसल नुकसान के साथ ही सड़कों को भी भारी नुकसान पहुंचा है, जिससे क्षेत्र में यातायात और जनजीवन बाधित हो गया है।
2024 में भी फसलों के नुकसान का आकलन किया जा रहा है। पर्यावरणविद् अरविंद मिश्रा के अनुसार, गंगा में अन्य क्षेत्रों से ज्यादा पानी आने और गाद के जमा होने से बाढ़ की विकरालता बढ़ रही है। अगर गंगा में फरक्का तक की गाद को हटा दिया जाए, तो बाढ़ की स्थिति इतनी भयानक नहीं होगी। इसके अलावा, सहायक नदियों के अतिक्रमण के कारण भी बाढ़ की समस्या गंभीर हो रही है।
अपर समाहर्ता (आपदा प्रबंधन) कुंदन कुमार ने बताया कि कृषि विभाग द्वारा फसलों के नुकसान का आकलन किया जा रहा है और प्रभावित अंचलों के सीओ प्रतिदिन बाढ़ से प्रभावित लोगों की रिपोर्ट भेज रहे हैं। जिला प्रशासन राहत और बचाव कार्यों पर लगातार नजर बनाए हुए है।
भागलपुर के डीएम डॉ. नवल किशोर चौधरी ने स्थिति की गंभीरता पर कहा कि गंगा में पहले से पानी अधिक था, लेकिन सोन नदी से पानी के डिस्चार्ज होने के कारण बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो गई। गंगा का पानी तेजी से बाहर नहीं निकल रहा है, जिसके चलते इसका फैलाव बढ़ता जा रहा है।
गंगा के जलस्तर की बात करें तो पिछले 12 वर्षों में जलस्तर की स्थिति 4 सितम्बर 2013 में 34.50 मीटर, 26 अगस्त 2016 में 34.72 मीटर, 2 अक्टूबर 2019 में 34.43 मीटर, 18 अगस्त 2021 में 34.86 मीटर और 23 सितम्बर 2024 में 34.66 मीटर था।
विशेषज्ञों का मानना है कि गंगा में नियमित रूप से गाद की सफाई और सहायक नदियों के अतिक्रमण को रोकने से इस समस्या से काफी हद तक राहत मिल सकती है। फिलहाल, प्रशासन बाढ़ प्रभावित लोगों तक मदद पहुंचाने और नुकसान के आकलन में जुटा हुआ है।