घर-परिवार और पांच साल के बच्चे की जिम्मेदारी संभालते हुए डॉ. सरिता पांडेय ने रचा इतिहास

  • Post By Admin on Mar 25 2025
घर-परिवार और पांच साल के बच्चे की जिम्मेदारी संभालते हुए डॉ. सरिता पांडेय ने रचा इतिहास

बलिया : कहते हैं अगर इरादे मजबूत हों और हौसला बुलंद हो, तो कोई भी जिम्मेदारी इंसान को उसके लक्ष्य तक पहुंचने से नहीं रोक सकती। बलिया की जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. सरिता पांडेय ने इस कहावत को सच कर दिखाया है। शादी, परिवार और पांच साल के बच्चे की जिम्मेदारी संभालते हुए डॉ. सरिता ने न केवल अपने सपनों को पंख दिए, बल्कि अपनी मेहनत और लगन से पूरे प्रदेश का नाम रोशन कर दिया।

भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICSSR) की ओर से दी जाने वाली प्रतिष्ठित प्रमुख अनुसंधान परियोजना के तहत डॉ. सरिता पांडेय को 16 लाख रुपये का अनुदान मिला है। इस परियोजना के लिए पूरे देश से चयनित होने वाले महज 34 प्रोफेसरों में उनका नाम शामिल हुआ है। यह उपलब्धि साबित करती है कि शादी और परिवार की जिम्मेदारियां किसी महिला के सपनों के आड़े नहीं आ सकतीं, अगर उसमें कुछ कर गुजरने का जज्बा हो।

मिर्जापुर की रहने वाली डॉ. सरिता पांडेय का सपना बचपन से ही प्रोफेसर बनने का था। उन्होंने वाराणसी में शादी के बाद भी अपने इस सपने को जिंदा रखा। पढ़ाई के साथ-साथ उन्होंने प्राइवेट नौकरियों में भी हाथ आजमाया, लेकिन उनका फोकस हमेशा अपने लक्ष्य पर ही रहा। डॉ. सरिता ने सीबीएसई बोर्ड से हाईस्कूल और इंटरमीडिएट किया। इसके बाद बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से बीए, एमए और डिप्लोमा की पढ़ाई पूरी की। महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ से बीएड करने के बाद उन्होंने एमपीएसईटी और महाराष्ट्र सेट भी पास किया। इसी दौरान उन्होंने यूपी हायर एजुकेशन सर्विस कमीशन और यूजीसी-नेट क्वालीफाई कर अपने सपने की ओर एक और कदम बढ़ाया।

अपनी पढ़ाई के दौरान डॉ. सरिता ने हैदराबाद यूनिवर्सिटी से पीजीसीटीई किया और इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से पीएचडी की डिग्री हासिल की। इसके बाद उन्होंने इग्नू से मैप पीडीपी भी किया। इस दौरान उनके पति डॉ. अंकुर पांडेय और ससुराल वालों ने उनका पूरा साथ दिया। डॉ. अंकुर पांडेय खुद राजीव गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ पेट्रोलियम टेक्नोलॉजी में इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कंप्यूटर साइंस डिपार्टमेंट में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं।

डॉ. सरिता बताती हैं कि उन्होंने घर और बच्चे की जिम्मेदारियों के बीच दिन-रात मेहनत की और कभी हार नहीं मानी। उनके अनुसार, परिवार के सहयोग और अपने आत्मविश्वास ने उन्हें इस मुकाम तक पहुंचाया है। उनका मानना है कि किसी भी महिला के लिए कोई भी सपना बड़ा नहीं होता, बस जरूरत होती है हिम्मत और मेहनत की।

डॉ. सरिता की इस ऐतिहासिक उपलब्धि ने साबित कर दिया कि महिलाओं के लिए कोई भी रास्ता मुश्किल नहीं, अगर उनके इरादे मजबूत हों। उनकी सफलता आज पूरे समाज के लिए प्रेरणा बन गई है।