सफदर हाशमी की शहादत दिवस पर हुआ सांस्कृतिक कार्यक्रम

  • Post By Admin on Jan 20 2025
सफदर हाशमी की शहादत दिवस पर हुआ सांस्कृतिक कार्यक्रम

मुजफ्फरपुर : रविवार को मालीघाट स्थित चुनाभट्टी रोड पर सफदर सांस्कृतिक जमघट के बैनर तले सफदर हाशमी की शहादत दिवस का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का शुभारंभ बिहार राज्य जनवादी सांस्कृतिक-सामाजिक मोर्चा 'विकल्प' के केंद्रीय कमिटी सदस्य और नाट्य निर्देशक कामेश्वर प्रसाद 'दिनेश' ने सफदर हाशमी के चित्र पर माल्यार्पण और पुष्पांजलि अर्पित कर किया। इसके बाद मालीघाट इकाई के साथी अमन कुमार के नेतृत्व में 'कौन आजाद हुआ' नुक्कड़ नाटक की प्रस्तुति देकर सफदर हाशमी को श्रद्धांजलि दी गई।

नाट्य निर्देशक स्वाधीन दास ने सफदर हाशमी का परिचय देते हुए कहा कि वह नुक्कड़ नाटक के प्रणेता थे। उन्होंने कहा कि हाशमी के योगदान को समझते हुए जनता के बीच जाकर जन समस्याओं पर आधारित नाटकों का प्रदर्शन करना चाहिए, ताकि मनोरंजन के साथ-साथ जनवादी आंदोलन को मजबूती मिले। इसके बाद जागृति बैरिया के साथियों ने 'ऐ शहीदों मुल्कों मिल्लत लीजिये, मेरा सलाम' की प्रस्तुति देकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।

प्रोफेसर कृष्णनंदन सिंह ने कहा कि सफदर हाशमी के लिखे नाटक पूंजीवाद की जड़ों को हिलाने वाले थे। उनकी लेखनी ने हमेशा शोषित और पीड़ित जनता के दुख-दर्द को उजागर किया। उन्होंने कहा कि 1 जनवरी 1989 को कांग्रेस पार्टी के गुंडों ने उनकी हत्या कर दी थी।

कार्यक्रम में मालीघाट इकाई की पूजा और रूपा कुमारी ने 'दिन दुपहरिया जेठ के पहरिया' जनगीत की प्रस्तुति देकर जनता के दुख-दर्द को उकेरा।

दूसरे सत्र में नाट्य और जनगीतों की प्रस्तुति:

कार्यक्रम के दूसरे सत्र में विभिन्न सांस्कृतिक संगठनों ने नाटक और जनगीत प्रस्तुत किए। 'विकल्प' की नवोदित इकाई के बाल कलाकारों ने 'सपनों की उड़ान' नाटक की प्रस्तुति देकर समाज में व्याप्त नशाखोरी, जुआ, घरेलू हिंसा और नारी शिक्षा पर बल दिया। दर्शकों ने इस प्रस्तुति की भूरि-भूरि प्रशंसा की।

किलकारी बाल संगठन ने 'हँस रहें हैं हम प्रकृति को तबाह करके' नामक नाटक प्रस्तुत किया, जिसमें पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया गया। इस नाटक का निर्देशन राजू सहनी ने किया।

मेरु एकेडमी ने 'दो पीढ़ियों के अंतर' पर आधारित नाटक प्रस्तुत किया, जिसे रवि कुमार ने निर्देशित किया। बिहार विश्वविद्यालय की टीम ने 'आफत' नाटक की प्रस्तुति दी, जो लैंगिक भेदभाव पर आधारित था और जिसका निर्देशन शेखर सुमन ने किया।

जनगीतों की प्रस्तुति में विभाकर विमल, अरुण कुशवाहा, बाबूलाल सहनी, रूपा कुमारी, नीरज प्रकाश, पूजा कुमारी, चंद्रभूषण तिवारी, नारायण कुमार, रामबाबू साह और कृति कुमारी ने भाग लिया। प्रसिद्ध उर्दू शायर अली अहमद मंजर ने अपनी प्रस्तुति 'करके आबाद जमीं रहता था, वो मेरे दिल में रहता था' से सभा को प्रेरित किया।

इस अवसर पर साथी नंदकिशोर तिवारी, विनय वर्मा, विनोद कुमार रजक, नीरज कुमार, राजू कुमार ने भी अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम में सुनील फेकानिया, अरुण कुमार वर्मा, भूपनारायण सिंह, सोनू सरकार, अवधेश कुमार, प्रो. अखिलेश कुमार, विजय सहनी, दीनबंधु महाजन सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। कार्यक्रम का धन्यवाद ज्ञापन साथी धीरेंद्र धीरू ने किया।