नवजात शिशुओं में जौंडिस से बचाव और इलाज में स्तनपान और अनुपूरक आहार है कारगर

  • Post By Admin on Dec 19 2024
नवजात शिशुओं में जौंडिस से बचाव और इलाज में स्तनपान और अनुपूरक आहार है कारगर

लखीसराय : नवजात शिशुओं में जौंडिस (पीलिया) एक आम समस्या है जो खून में बिलीरूबिन की मात्रा बढ़ने के कारण होती है। सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) के अनुसार, 60% समय से जन्म लेने वाले और 80% प्रीमैच्योर नवजात शिशुओं को जीवन के पहले सप्ताह में जौंडिस हो सकता है। यह समस्या नवजात शिशुओं के अपरिपक्व लीवर के कारण उत्पन्न होती है जो बिलीरूबिन के मेटाबॉलिज्म को धीमा कर देता है।

विशेषज्ञों के अनुसार, अधिकांश मामलों में यह फिजियोलॉजिकल जौंडिस होता है जो हानिकारक नहीं होता। लेकिन यदि बिलीरूबिन का स्तर अत्यधिक बढ़ जाए तो यह गंभीर स्थिति पैदा कर सकता है। ऐसे में पीलिया के लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टरी सलाह लेना आवश्यक है।

लखीसराय के अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. अशोक कुमार भारती ने बताया कि नियमित स्तनपान नवजात के खून से बिलीरूबिन को खत्म करने में सहायक होता है। पीलिया से प्रभावित नवजात को नियमित अंतराल पर स्तनपान कराना चाहिए क्योंकि जौंडिस के कारण बच्चे को अधिक नींद आती है। इसके अलावा, सुबह की धूप में एक घंटे तक नवजात को रखने से भी लाभ होता है।

यदि बच्चा छह माह से अधिक का है, तो उसे ठोस पौष्टिक आहार जैसे दलिया, खिचड़ी और उबला हुआ पानी देना चाहिए। साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखना आवश्यक है। डायपर बदलने से पहले और बाद में हाथों को साबुन से धोना चाहिए।

जौंडिस के लक्षणों में त्वचा और आंखों का पीला पड़ना, सही से स्तनपान न कर पाना, मांसपेशियों की कसावट में बदलाव, अत्यधिक रोना, नींद न आना, गहरे पीले रंग का पेशाब, बुखार और उल्टी शामिल हैं। ये लक्षण नवजात शिशुओं में गंभीर स्थिति का संकेत हो सकते हैं जिसके लिए तत्काल चिकित्सकीय परामर्श आवश्यक है।

स्तनपान कराने वाली माताओं को पौष्टिक आहार जैसे टमाटर और हर्बल सप्लीमेंट का सेवन करना चाहिए। टमाटर में मौजूद लाइकोपीन खून के लिए फायदेमंद होता है। मां के शरीर में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट शिशु तक पहुंचकर उसके शरीर से विषैले पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करते हैं। यदि मां को भी जौंडिस हो तो स्तनपान से पहले डॉक्टरी सलाह अवश्य लें।

नियमित स्तनपान, सूरज की रोशनी और सही पोषण नवजात में जौंडिस के प्रभाव को कम करने में मददगार साबित हो सकते हैं। साथ ही, समय पर डॉक्टर से परामर्श लेकर उचित उपचार सुनिश्चित करना भी आवश्यक है।