47 साल बाद फिर खुलेगी संभल दंगों की फाइल, 184 लोगों की गई थी जान
- Post By Admin on Jan 09 2025

लखनऊ : उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने 1978 में संभल में हुए भयंकर दंगों की पुनः जांच के आदेश दिए हैं। 47 साल पहले हुए इन दंगों में 184 लोगों की जान गई थी। जिनमें अधिकांश हिंदू समुदाय के लोग थे। अब, संभल ASP को एक हफ्ते के भीतर इस मामले पर रिपोर्ट सरकार को सौंपने का निर्देश दिया गया है।
दंगों की जांच की मांग और सरकार का त्वरित कदम
यह जांच उस समय की मांग के बाद शुरू हुई जब 17 दिसंबर, 2024 को MLC श्रीचंद शर्मा ने शासन को पत्र लिखकर 1978 के दंगों की जांच की अपील की थी। इस पर 6 जनवरी को गृह सचिव सत्येंद्र प्रताप सिंह ने संज्ञान लेते हुए संभल SP को पत्र भेजा और एक हफ्ते के भीतर रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया। इसके बाद, SP ने जांच की जिम्मेदारी ASP श्रीचंद्र को सौंपते हुए डीएम को भी निर्देश दिए हैं कि संयुक्त जांच के लिए संबंधित अधिकारियों को नियुक्त किया जाए।
संभल में 1978 के दंगे : एक दर्दनाक इतिहास
संभल में यह दंगा 29 मार्च, 1978 को हुआ था, जब होली जलाने को लेकर दो समुदायों के बीच तनाव उत्पन्न हुआ। इसी दौरान अफवाह फैल गई कि एक दुकानदार ने दूसरे समुदाय के व्यक्ति को मार डाला, जिसके बाद हिंसा भड़क उठी। दंगों में 184 लोगों की मौत हो गई। जिनमें से कई लोगों की लाशें भी नहीं मिल पाई और उनके पुतले बनाकर उनका अंतिम संस्कार किया गया।
इन दंगों में एक व्यापारी, बनवारी लाल को बेहद क्रूरता से मारा गया था। उन्हें हाथ-पैर काटकर हत्या कर दी गई और उनके शव को जला दिया गया। इस घटना के बाद बनवारी लाल का परिवार 1995 में संभल छोड़कर चला गया।
सीएम योगी का बयान और दंगों के रिकॉर्ड की मांग
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र में 16 दिसंबर को इन दंगों का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि 1978 में 184 हिंदुओं को जिंदा जलाया गया था और इन दंगों में कुल 209 हिंदू मारे गए। योगी ने कहा था, “घड़ियाली आंसू बहाने वाले लोग कभी इन निर्दोष हिंदुओं की हत्या पर दो शब्द नहीं कहते।” सीएम योगी के बयान के बाद, 17 दिसंबर को मुरादाबाद कमिश्नर ने भी संभल दंगों के रिकॉर्ड तलब किए थे।
संभल दंगों में बर्बरता की घटनाएं
इन दंगों में कई और भयावह घटनाएं हुई थीं। एक शिक्षक के परिवार पर बर्बरता का जिक्र भी किया गया है। जहां दंगाइयों ने उनकी पत्नी और बेटी को अगवा किया और बाद में बेटी के साथ दुष्कर्म किया गया। इस घटना के बाद टीचर का परिवार भी संभल छोड़कर चला गया था।
संभल में कर्फ्यू और दंगों के पीड़ित परिवारों की तकलीफ
दंगों के बाद संभल में दो महीने तक कर्फ्यू लगा रहा। उस समय जनता पार्टी की सरकार थी और राम नरेश यादव मुख्यमंत्री थे। दंगों में मारे गए लोग और उनके परिवार अब भी उस दर्दनाक इतिहास को याद करते हैं और 1978 के इन दंगों पर सरकार द्वारा की जा रही जांच से उन्हें न्याय मिलने की उम्मीद है।
नवीनतम पहल और सरकार का संकल्प
अब, योगी सरकार ने इस मामले में जांच के आदेश देकर एक नई पहल शुरू की है। जिससे यह उम्मीद जताई जा रही है कि 1978 के दंगों के दोषियों को न्याय मिलेगा। सरकार ने स्पष्ट किया है कि वह इस मामले में हर पहलू की गंभीरता से जांच करेगी और पीड़ित परिवारों को न्याय दिलाने के लिए पूरी कोशिश करेगी।
संभल के दंगों की जांच 47 साल बाद एक महत्वपूर्ण कदम है, जो न केवल उन दंगों के पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए है, बल्कि समाज में शांति और सद्भावना की स्थापना के लिए भी आवश्यक है।