शराबबंदी कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे एडवोकेट, बताया असंवैधानिक और जनविरोधी

  • Post By Admin on Apr 15 2025
शराबबंदी कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे एडवोकेट, बताया असंवैधानिक और जनविरोधी

लखीसराय : बिहार में लागू शराबबंदी कानून को लेकर लगातार उठते सवालों के बीच ‘आवाज़-ए-सिरीश शांडिल्य’ संगठन के संस्थापक और अध्यक्ष एडवोकेट सिरीश कुमार शांडिल्य ने इस कानून को असंवैधानिक और जनविरोधी करार देते हुए सुप्रीम कोर्ट तक आवाज पहुंचाई है। उन्होंने 21 जनवरी 2022 को तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश एन. वी. रमण को पत्र लिखकर इस कानून पर स्वतः संज्ञान लेने की अपील की थी।

एडवोकेट शांडिल्य ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताया कि यह कानून भारतीय विधिक सिद्धांतों और नागरिकों के मौलिक अधिकारों के खिलाफ है। उनका तर्क है कि कानून केवल व्यक्ति के बाह्य कार्यों को अपराध मानता है, जबकि बिहार का शराबबंदी कानून व्यक्ति के आंतरिक प्रभावों को भी अपराध की श्रेणी में डालता है, जो न्यायसंगत नहीं है।

उन्होंने संविधान की उस व्यवस्था का उल्लेख किया जिसमें न्यायपालिका को यह अधिकार है कि वह विधायिका द्वारा बनाए गए किसी भी कानून की समीक्षा कर सके और असंवैधानिक या जनविरोधी पाए जाने पर उसे निरस्त करने का आदेश दे सके।

शांडिल्य ने अपने पत्र में यह भी आरोप लगाया कि यह कानून न केवल नागरिकों की संपत्ति की जब्ती और उन्हें अपराधी घोषित करने की प्रक्रिया को बढ़ावा देता है, बल्कि राज्य में कई सामाजिक और कानूनी समस्याओं को भी जन्म दे रहा है।

प्रेस रिलीज़ में उन्होंने यह भी कहा कि पत्र लिखने के बाद वे लगातार सड़क से अदालत तक इस कानून का विरोध कर रहे हैं। उन्होंने दावा किया कि उनके प्रयासों का असर अब दिखने लगा है, क्योंकि अब कई राजनीतिक दल और प्रमुख नेता भी इस कानून की आलोचना करने लगे हैं।

शांडिल्य ने दोहराया कि यह लड़ाई पूरी तरह जनहित में है और जब तक या तो इस कानून को वापस नहीं लिया जाता, या इसमें आमजन के हित में जरूरी संशोधन नहीं किए जाते, तब तक उनका संघर्ष जारी रहेगा।

यह मामला एक बार फिर बिहार की शराबबंदी नीति को लेकर बहस को तेज कर सकता है, जो लंबे समय से सामाजिक-राजनीतिक विमर्श का केंद्र बनी हुई है।