बांग्लादेश में हिंदुओं पर कथित अत्याचार के विरोध में लखीसराय में विशाल आक्रोश मार्च

  • Post By Admin on Dec 26 2025
बांग्लादेश में हिंदुओं पर कथित अत्याचार के विरोध में लखीसराय में विशाल आक्रोश मार्च

लखीसराय : बांग्लादेश में हिंदू समाज पर हो रहे कथित अत्याचार, हिंसा और मानवाधिकार हनन के विरोध में शुक्रवार को लखीसराय में एक विशाल आक्रोश मार्च का आयोजन किया गया। यह मार्च दोपहर करीब 2 बजे विद्यापीठ चौक से प्रारंभ होकर शहर के प्रमुख मार्गों से गुजरते हुए बाजार समिति परिसर तक पहुंचा।

आक्रोश मार्च में भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं के साथ-साथ विभिन्न सामाजिक संगठनों और हिंदू समाज के अलग-अलग वर्गों के हजारों लोग शामिल हुए। सभी प्रतिभागियों ने शांतिपूर्ण ढंग से विरोध प्रदर्शन करते हुए बांग्लादेश में पीड़ित हिंदू समाज के प्रति एकजुटता का संदेश दिया। कार्यक्रम की अध्यक्षता भाजपा जिलाध्यक्ष दीपक कुमार सिंह ने की।

मार्च के दौरान प्रदर्शनकारियों ने बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे कथित अत्याचार के खिलाफ नारे लगाए और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से इस मुद्दे पर संज्ञान लेने की मांग की। बाजार समिति परिसर में आयोजित सभा को संबोधित करते हुए भाजपा जिलाध्यक्ष दीपक कुमार सिंह ने कहा कि बांग्लादेश में हिंदू समुदाय पर हो रहे हमले अत्यंत चिंताजनक हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि मंदिरों को क्षति पहुंचाई जा रही है और निर्दोष लोगों को निशाना बनाया जा रहा है, जो मानवता और सभ्यता के लिए गंभीर चुनौती है।

उन्होंने कहा कि भारत सरकार इस विषय पर कूटनीतिक स्तर पर प्रयास कर रही है, लेकिन वैश्विक स्तर पर भी जन-आवाज़ को मजबूती देने की आवश्यकता है। उन्होंने पीड़ितों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और दोषियों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की मांग की। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि हिंदू समाज की एकता और शांतिपूर्ण विरोध ही अन्याय के खिलाफ सबसे बड़ी ताकत है।

आक्रोश मार्च में भाजपा महामंत्री सनोज साहू, प्रमोद कुशवाहा, जिला मंत्री हिमांशु पटेल, अभिषेक सिंह, जिला उपाध्यक्ष गौतम मंडल, चंदन यादव, बजरंग दल के सोनू पटेल, जनसंख्या नियंत्रण फाउंडेशन के राष्ट्रीय महासचिव कृष्णा मुरारी सहित कई प्रमुख कार्यकर्ता और सामाजिक प्रतिनिधि मौजूद रहे।

यह आक्रोश मार्च पूरी तरह शांतिपूर्ण रहा और बांग्लादेश में पीड़ित हिंदू समाज के समर्थन में धर्म, संस्कृति और मानवीय मूल्यों की रक्षा के संकल्प का प्रतीक बना। आयोजन के माध्यम से समाज के विभिन्न वर्गों ने एकजुट होकर न्याय और मानवाधिकारों के पक्ष में अपनी आवाज बुलंद की।