धार्मिक मान्यता या पौराणिक श्राप : अविवाहित जोड़ों का जगन्नाथ मंदिर में प्रवेश वर्जित

  • Post By Admin on Nov 15 2025
धार्मिक मान्यता या पौराणिक श्राप : अविवाहित जोड़ों का जगन्नाथ मंदिर में प्रवेश वर्जित

पुरी : दुनिया भर के श्रद्धालुओं का केंद्र जगन्नाथ पुरी मंदिर अपनी आध्यात्मिक चमक, भव्य स्थापत्य और अनोखी परंपराओं के लिए प्रसिद्ध है। लेकिन इसी मंदिर से जुड़ा एक ऐसा नियम है, जिसे आज भी सुनकर लोग चौंक जाते हैं—मंदिर में अविवाहित प्रेमी जोड़ों का प्रवेश निषिद्ध है।

कहते हैं कि चाहे रिश्ता पक्का हो चुका हो या दो लोग प्रेम संबंध में हों, जब तक वे विवाहिता नहीं होते, मंदिर के गर्भगृह में कदम नहीं रख सकते। सुनने में यह कोई सामाजिक मर्यादा लगे, लेकिन असल वजह उससे कहीं अधिक पौराणिक और भावनात्मक है।

राधा रानी और जगन्नाथ के दर्शन से जुड़ी कथा

लोक-विश्वास के अनुसार, एक बार राधा रानी भगवान कृष्ण के जगन्नाथ रूप के दर्शन के लिए पुरी पहुंचीं। जैसे ही वे मंदिर में प्रवेश करने लगीं, पुजारियों ने उन्हें रोक दिया।

आश्चर्यचकित राधा जी ने कारण पूछा। उन्हें बताया गया कि— “इस मंदिर में भगवान की पत्नियों को भी प्रवेश नहीं है, तो प्रेमिका का प्रवेश संभव नहीं।” यह सुनकर राधा रानी गहरी वेदना से भर उठीं। मान्यता है कि क्रोध और आहत भाव से उन्होंने श्राप दिया—
“आज से इस मंदिर में कोई भी अविवाहित जोड़ा प्रवेश नहीं कर सकेगा। जो आएंगे, उनका प्रेम सफल नहीं होगा।”

श्राप से परंपरा बनी—और परंपरा से आस्था

कहा जाता है कि इसी घटना के बाद से यह प्रतिबंध एक अटल नियम बन गया। पुरी के पुजारी और मंदिर प्रशासन आज भी इस परंपरा का पालन पूरी निष्ठा से करते हैं।
जो अविवाहित जोड़े प्रवेश की कोशिश करते हैं, उन्हें विनम्रता से रोक दिया जाता है।

विश्वास और परंपरा का अनोखा संगम

यह परंपरा आधुनिक दृष्टि से भले ही असामान्य लगे, लेकिन पुरी में इसे राधा रानी की इच्छा और भगवान की मर्यादा मानकर पूरी आस्था के साथ निभाया जाता है।

इसी विशिष्टता के कारण जगन्नाथ मंदिर न सिर्फ आध्यात्मिक केंद्र है, बल्कि भारत की सांस्कृतिक विरासत का जीवित प्रतीक भी है।