नवरात्रि विशेष : उत्तर प्रदेश के 5 शक्तिपीठ जहां दर्शन मात्र से होती है मनोकामना पूरी
- Post By Admin on Sep 23 2025
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उत्तर प्रदेश : शारदीय नवरात्रि 22 सितंबर से आरंभ हो गई है। यह पर्व देवी दुर्गा की उपासना और साधना का प्रमुख महापर्व माना जाता है। इस अवसर पर उत्तर प्रदेश के देवी मंदिरों में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है। राज्य में कई प्राचीन और सिद्ध मंदिर हैं, जिनमें पांच शक्तिपीठ विशेष पूजनीय माने जाते हैं और जिनका उल्लेख देवी पुराण में भी मिलता है।
श्रीउमा शक्तिपीठ, वृंदावन: भूतेश्वर महादेव मंदिर के समीप स्थित यह शक्तिपीठ 'उमा देवी मंदिर' के नाम से प्रसिद्ध है। मान्यता है कि यहां माता सती के केश और चूड़ामणि गिरे थे। वर्षभर यहां भक्त दर्शन के लिए आते हैं और नवरात्रि में श्रद्धालुओं की संख्या और भी बढ़ जाती है।
रामगिरि शक्तिपीठ, चित्रकूट: रामगिरि में स्थित इस शक्तिपीठ का पौराणिक महत्व अत्यधिक है। कहा जाता है कि यहां माता सती का दायां वक्ष गिरा था। यहां माता का पूजन शिवानी नाम से किया जाता है और नवरात्रि में मंदिर पूरी तरह भक्तिमय वातावरण से भर जाता है।
विशालाक्षी शक्तिपीठ, वाराणसी: मणिकर्णिका घाट के पास स्थित यह शक्तिपीठ 51 शक्तिपीठों में विशेष स्थान रखता है। यहां माता सती की मणिकर्णिका गिरी थी और वे विशालाक्षी एवं मणिकर्णी रूप में पूजनीय हैं। वाराणसी का धार्मिक महत्व इस मंदिर से और बढ़ जाता है।
पंचसागर शक्तिपीठ: इस शक्तिपीठ का सटीक स्थान स्पष्ट नहीं है, लेकिन मान्यता है कि यहां माता की निचली दाढ़ गिरी थी। इसे वाराही शक्ति के रूप में पूजा जाता है और यह भक्तों के लिए विशेष आस्था का केंद्र है।
प्रयाग शक्तिपीठ, प्रयागराज: संगम तट पर स्थित यह शक्तिपीठ अत्यंत महत्वपूर्ण है। कहा जाता है कि यहां सती का हस्तांगुल गिरा था। प्रयागराज के तीन मंदिर—ललितादेवी, कल्याणीदेवी और अलोपीदेवी—शक्तिपीठ माने जाते हैं। संगम स्नान और इन मंदिरों के दर्शन-पूजन को मोक्षदायक माना जाता है।
ये पांच शक्तिपीठ न केवल धार्मिक आस्था के केंद्र हैं, बल्कि उत्तर प्रदेश और भारत की सांस्कृतिक तथा आध्यात्मिक धरोहर का भी अभिन्न हिस्सा हैं। नवरात्रि के पावन अवसर पर इन मंदिरों में दर्शन करने से भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और उन्हें शक्ति, शांति एवं आध्यात्मिक ऊर्जा की प्राप्ति होती है।