झारखंड की सियासत में उभरे जयराम महतो, विधानसभा चुनाव के नतीजे तय करेंगे पार्टी का भविष्य

  • Post By Admin on Nov 23 2024
झारखंड की सियासत में उभरे जयराम महतो, विधानसभा चुनाव के नतीजे तय करेंगे पार्टी का भविष्य

रांची : झारखंड की राजनीति में एक नया नाम जयराम महतो तेजी से उभर कर सामने आया है। उनकी पार्टी झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा (जेएलकेएम) इस बार राज्य की 71 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ रही है। जयराम महतो खुद बोकारो के बेरमो और गिरडीह के डुमरी विधानसभा क्षेत्र से चुनावी मैदान में हैं। उनका राजनीतिक सफर 2024 लोकसभा चुनाव से पहले शुरू हुआ था जब उन्होंने अपनी पार्टी का गठन किया और चुनाव आयोग से पंजीकरण प्राप्त किया। जयराम महतो का जन्म 1995 में धनबाद जिले के मानतंड गांव में हुआ था। उनके पिता झारखंड को अलग राज्य का दर्जा दिलाने के आंदोलन में सक्रिय थे। जयराम ने अंग्रेजी साहित्य में पोस्ट ग्रेजुएशन किया है और 2022 में भाषा आंदोलन में सक्रिय हुए थे। उन्होंने राज्य में 11 जिलों में क्षेत्रीय भाषाओं को बढ़ावा देने के खिलाफ विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व किया था जिसमें उन्होंने केवल स्थानीय भाषाओं के पक्ष में आवाज उठाई। उनके इस आंदोलन ने उन्हें राज्यभर में पहचान दिलाई और 'टाइगर' के नाम से मशहूर किया। जयराम महतो की पार्टी 1932 आधारित नियोजन नीति के मुद्दे पर चुनाव मैदान में उतरी है और अपने 75-सूत्रीय घोषणापत्र के जरिए लोगों के बीच अपनी पकड़ बनाने की कोशिश कर रही है। कुर्मी समाज से आने के कारण जयराम की लोकप्रियता इस समाज में तेजी से बढ़ी है क्योंकि झारखंड में कुर्मी समाज की महत्वपूर्ण जनसंख्या है। इसके साथ ही आदिवासी मुद्दों को भी वह अपनी रैलियों में प्रमुखता से उठाते हैं, जिससे आदिवासी समुदाय में भी उनका समर्थन बढ़ा है।

सोशल मीडिया पर जयराम महतो की बढ़ती फॉलोइंग ने उनकी राजनीति को और भी मजबूत किया है। वे अक्सर अपनी वीडियो में झारखंड में बाहरी लोगों को सरकारी नौकरियों में हिस्सेदारी और गरीबों की स्थिति पर सवाल उठाते हैं जो राज्य की जनता को प्रभावित करते हैं। हालांकि, झारखंड में मुख्य रूप से एनडीए और महागठबंधन के बीच ही चुनावी संघर्ष है लेकिन जयराम महतो की बढ़ती लोकप्रियता ने इस चुनाव में नया मोड़ ला दिया है। चुनावी नतीजों के बाद यह स्पष्ट होगा कि उनकी पार्टी ने कितनी सीटों पर कब्जा किया और उनकी बढ़ती ताकत क्या पुराने दलों के मतदाताओं के बीच सेंध लगा पाई। अब सबकी निगाहें 23 नवंबर को होने वाली मतगणना पर टिकी हैं जब जयराम महतो और उनकी पार्टी का भविष्य तय होगा।