बिहार में फिर भड़का EVM विवाद : राजद ने हार को बताया पूर्व-निर्धारित खेल
- Post By Admin on Nov 18 2025
पटना : बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों ने राजनीतिक तापमान एक बार फिर बढ़ा दिया है। करारी हार झेलने के बाद राजद नेतृत्व ने सीधे तौर पर ईवीएम की विश्वसनीयता पर हमला बोल दिया है। पार्टी नेताओं का कहना है कि एनडीए की “अप्रत्याशित और भारी” जीत बिना हेराफेरी संभव ही नहीं थी।
हार के तुरंत बाद बीते सोमवार को राजद ने एक महत्वपूर्ण समीक्षा बैठक बुलाई, जिसमें लालू प्रसाद यादव, तेजस्वी यादव, विजयी विधायक और पराजित उम्मीदवार सभी मौजूद रहे। बैठक का माहौल तनावपूर्ण रहा और कई नेताओं ने खुले तौर पर नतीजों पर सवाल उठाए।
“नतीजे पहले से लिखे हुए थे” — राजद नेताओं का गंभीर आरोप
परबत्ता के पूर्व विधायक संजीव कुमार ने बैठक के बाद पत्रकारों से कहा कि “चुनाव से पहले ही 65 सीटों की सूची तैयार कर ली गई थी। मेरी सीट उस सूची में थी। मैंने खुद वह सूची देखी है।” उन्होंने दावा किया कि इन 65 सीटों पर परिणाम पहले से ‘सेट’ थे।
संजीव कुमार ने एनडीए की जीत को विकास का परिणाम बताने वाले तर्क को भी खारिज करते हुए कहा, “नीतीश कुमार पिछले कई सालों से विकास कर रहे थे, तब ऐसा परिणाम क्यों नहीं मिला? मैंने भी विकास किया, फिर मैं क्यों हार गया?”
उनके अनुसार यह साफ है कि ईवीएम में हेराफेरी हुई, जिसके चलते बड़े अंतर से जीतने की उम्मीद वाले कई राजद उम्मीदवार मुश्किल से 10–11 हजार वोटों से जीत पाए। उनका कहना है कि राजद को 1.8 करोड़ वोट मिले, जो जनता के व्यापक समर्थन की ओर इशारा करता है, लेकिन सीटों की गिनती इस समर्थन को प्रतिबिंबित नहीं करती।
“डाक मतपत्रों में आगे थे, ईवीएम शुरू होते ही खेल बदल गया”
मनेर के विधायक भाई वीरेंद्र भी बैठक में फूटे असंतोष के स्वर में शामिल हुए। उन्होंने आरोप लगाया कि “डाक मतपत्रों में राजद उम्मीदवार आगे थे, लेकिन जैसे ही ईवीएम की गिनती शुरू हुई, नतीजे पलट गए। यह साफ संकेत है कि कहीं न कहीं बड़ी गड़बड़ी हुई है।”
राजद नेताओं का मानना है कि पार्टी ने जनता का समर्थन जीता था, लेकिन परिणामों में उस समर्थन का प्रतिबिंब नहीं दिख रहा। सूत्रों के मुताबिक, पार्टी अब नतीजों को कानूनी रूप से चुनौती देने की संभावनाएं तलाश रही है।
हार से ज्यादा ईवीएम सवालों में
राजद की यह समीक्षा बैठक एक बात साफ कर गई—पार्टी फिलहाल अपनी हार को स्वीकार करने के मूड में नहीं है। ईवीएम हेराफेरी से लेकर पहले से तैयार सीटों की सूची जैसे आरोपों ने विपक्ष की ओर से चुनाव की पारदर्शिता पर नया विवाद खड़ा कर दिया है।