गुइलेन बैरे सिंड्रोम के लक्षण, बचाव और सावधानी पर रिम्स निदेशक ने दी जानकारी

  • Post By Admin on Feb 03 2025
गुइलेन बैरे सिंड्रोम के लक्षण, बचाव और सावधानी पर रिम्स निदेशक ने दी जानकारी

रांची : झारखंड में गुइलेन बैरे सिंड्रोम (GBS) के मामलों को लेकर अलर्ट जारी कर दिया गया है। खासकर राजधानी रांची में एक पांच साल की बच्ची में इस बीमारी की पहचान होने के बाद। इस बीच, रिम्स के निदेशक और प्रमुख न्यूरोसर्जन डॉ. राज कुमार ने इस बीमारी के लक्षण, कारण और बचाव के उपायों को लेकर महत्वपूर्ण जानकारी साझा की है। साथ ही, उन्होंने इसे लेकर सावधानी बरतने की भी अपील की है।

गुइलेन बैरे सिंड्रोम (GBS) : एक परिचय

गुइलेन बैरे सिंड्रोम कोई नई बीमारी नहीं है। इसका पहला विवरण 1916 में हुआ था। डॉ. राज कुमार ने कहा कि यह बीमारी किसी संक्रमण से नहीं फैलती, बल्कि यह एक ऑटो इम्यून बीमारी है। जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली अपने ही तंत्रिकाओं पर हमला करती है। यह बीमारी मुख्य रूप से शरीर के पेरिफेरल नर्वस सिस्टम (बॉडी के बाहरी तंत्रिका तंत्र) को प्रभावित करती है।

गुइलेन बैरे सिंड्रोम (GBS) के लक्षण

डॉ. राज कुमार ने बताया कि अगर किसी व्यक्ति को पेट दर्द और डायरिया के बाद पैर में कमजोरी या दर्द महसूस होने लगे और यह कमजोरी धीरे-धीरे ऊपर की ओर बढ़ती जाए, तो यह गुइलेन बैरे सिंड्रोम (GBS) का संकेत हो सकता है। यह कमजोरी शरीर के अन्य हिस्सों, जैसे हाथों, चेहरे और आंखों तक पहुंच सकती है, जिससे मरीज को निगलने में भी कठिनाई हो सकती है।

किन लोगों को हो सकता है GBS का खतरा?

डॉ. राज कुमार ने बताया कि गुइलेन बैरे सिंड्रोम किसी भी कारण से हो सकता है, लेकिन कुछ विशेष परिस्थितियों वाले व्यक्तियों में इसके होने का खतरा ज्यादा रहता है। विशेष रूप से वे लोग जो लंबे समय से स्टेरॉयड या एंटी कैंसर दवाइयां ले रहे हैं, जिनका ऑर्गन ट्रांसप्लांट हुआ हो, जो इम्यूनो कॉम्प्रोमाइज्ड (कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली) हैं और जिन्हें रेस्पिरेटरी (सांस से जुड़ी) इन्फेक्शन हो।

GBS के इलाज और पहचान में सावधानी

रिम्स निदेशक ने कहा कि गुइलेन बैरे सिंड्रोम की पहचान और इलाज के लिए एक योग्य न्यूरोसर्जन की आवश्यकता होती है। इस बीमारी का इलाज समय पर किए जाने से मरीज पूरी तरह ठीक हो सकते हैं। मरीजों को अगर पैरों में कमजोरी महसूस हो और यह कमजोरी ऊपर की ओर बढ़े, तो उन्हें तुरंत चिकित्सकीय सलाह लेनी चाहिए।

सावधानी और बचाव के उपाय
    •    गंदे खाद्य पदार्थ, गंदे पानी से बचें।
    •    साफ और हाइजीनिक भोजन करें, खासतौर पर गर्म भोजन खाएं।
    •    पानी को उबालकर पियें और साफ पानी का सेवन करें।
    •    अगर शरीर में हल्की गर्मी महसूस हो तो तुरंत गर्म कपड़े न उतारें, इससे संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है।
    •    गुइलेन बैरे सिंड्रोम के लक्षण जैसे पैरों में दर्द और कमजोरी महसूस होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

राज्य की तैयारियां

रिम्स निदेशक ने राज्य के सभी सिविल सर्जन से अपील की है कि वे इस बीमारी से निपटने के लिए तैयार रहें और यदि किसी जिले में जीबीएस का संकमित मरीज मिले, तो उसे तुरंत रिम्स रेफर करें। रिम्स इस बीमारी के इलाज और रोकथाम के लिए पूरी तरह तैयार है।

गुइलेन बैरे सिंड्रोम एक गंभीर लेकिन उपचार योग्य बीमारी है। इससे बचाव के लिए सही खानपान, साफ-सफाई और समय पर चिकित्सकीय सहायता जरूरी है। रिम्स निदेशक की ओर से दी गई सलाहों को ध्यान में रखते हुए हम इस बीमारी से बच सकते हैं और इसके लक्षणों के प्रति सजग रह सकते हैं।