खांसी-जुकाम से लेकर हड्डियों की मजबूती तक, आयुर्वेदिक चमत्कार है तबाशीर

  • Post By Admin on Aug 02 2025
खांसी-जुकाम से लेकर हड्डियों की मजबूती तक, आयुर्वेदिक चमत्कार है तबाशीर

नई दिल्ली : प्राकृतिक औषधियों की परंपरा में वंशलोचन या तबाशीर एक ऐसी जानी-मानी दवा है, जिसे आयुर्वेद में शीतल, शक्तिवर्धक और त्रिदोषनाशक माना गया है। सफेद, क्रिस्टल जैसे दिखने वाला यह पदार्थ बांस के तने के भीतर से निकलता है और 'बैंबू मैनना' या 'बैंबू सिलाइसेस' के नाम से भी जाना जाता है।

आयुर्वेदिक ग्रंथों में स्वर्ण समान स्थान

चरक संहिता और भैषज्य रत्नावली जैसे प्राचीन आयुर्वेदिक ग्रंथों में तबाशीर को कई औषधीय योगों में स्थान दिया गया है। सितोपलादि चूर्ण, तालिसादि चूर्ण और वंशलोचनादि चूर्ण जैसे मिश्रणों में इसका प्रयोग खांसी, जुकाम, बुखार, पाचन और त्वचा संबंधी समस्याओं के इलाज के लिए होता है।

विशेषज्ञ बताते हैं कि तबाशीर में सिलिका की मात्रा अधिक होती है, जो हड्डियों और दांतों को मजबूत बनाने, जोड़ों के दर्द में राहत और बालों की सेहत के लिए बेहद लाभकारी है।

शीतल तासीर, पित्त शमन में उपयोगी

तबाशीर की तासीर ठंडी मानी जाती है। यह शरीर की अंतरिक गर्मी को कम करने में मदद करता है। विशेष रूप से हाथ-पैर में जलन, अत्यधिक पसीना या पेट की गर्मी से होने वाले मुंह के छालों में यह बेहद प्रभावी होता है।

छालों की स्थिति में तबाशीर को शहद में मिलाकर लगाने से तुरंत आराम मिलता है। शहद जहां बैक्टीरियल संक्रमण को रोकता है, वहीं तबाशीर पेट की गर्मी को शांत कर छालों के मूल कारण पर काम करता है।

खांसी-जुकाम में रामबाण

तबाशीर का नियमित सेवन आयुर्वेदाचार्यों के अनुसार कफ और वात दोष को शांत करता है। यही कारण है कि इसका उपयोग पुरानी खांसी, जुकाम और सांस की तकलीफ में लाभकारी माना गया है। इसके साथ ही यह बुखार के दौरान शरीर की कमजोरी को भी दूर करता है।

जरूरी है सावधानी

हालांकि तबाशीर पूर्णत: प्राकृतिक और आयुर्वेदिक है, फिर भी इसके सेवन से पहले किसी पंजीकृत आयुर्वेद चिकित्सक से सलाह लेना आवश्यक है। शरीर की प्रकृति, रोग की अवस्था और डोज की मात्रा का सही निर्धारण विशेषज्ञ ही कर सकते हैं।

तबाशीर जैसे प्राकृतिक तत्व आयुर्वेद की उस विरासत का हिस्सा हैं, जो आधुनिक चिकित्सा विज्ञान के साथ मिलकर समग्र स्वास्थ्य को बढ़ावा देने में सक्षम हो सकते हैं।