असम : लेबर वेलफेयर फंड घोटाले में मुख्य आरोपी गिरफ्तार, कोर्ट ने ईडी की कस्टडी में भेजा

  • Post By Admin on Dec 21 2025
असम : लेबर वेलफेयर फंड घोटाले में मुख्य आरोपी गिरफ्तार, कोर्ट ने ईडी की कस्टडी में भेजा

गुवाहाटी : असम के लेबर वेलफेयर फंड से जुड़े बहुचर्चित घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बड़ी कार्रवाई करते हुए मुख्य आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है। ईडी के गुवाहाटी जोनल ऑफिस ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में एम/एस पूर्वाश्री प्रिंटिंग हाउस के प्रोप्राइटर प्रियांशु बोइरागी को पीएमएलए, 2002 के तहत हिरासत में लिया है। आरोपी को विशेष पीएमएलए कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उसे पांच दिन की ईडी कस्टडी में भेज दिया गया।

ईडी ने यह कार्रवाई 18 दिसंबर को गुवाहाटी में बोइरागी से जुड़े ठिकानों पर व्यापक तलाशी अभियान के बाद की। जांच एजेंसी के अनुसार, यह मामला सीएम स्पेशल विजिलेंस सेल, असम द्वारा दर्ज एफआईआर के आधार पर शुरू किया गया था, जिसमें आईपीसी की विभिन्न धाराओं और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 के तहत गंभीर आरोप लगाए गए थे। ये सभी अपराध पीएमएलए के शेड्यूल के तहत आते हैं।

एफआईआर में आरोप है कि प्रियांशु बोइरागी ने असम बिल्डिंग एंड अदर कंस्ट्रक्शन वर्कर्स वेलफेयर बोर्ड के तत्कालीन शीर्ष अधिकारियों, जिनमें तत्कालीन मेंबर सेक्रेटरी चोहन दोले और चेयरमैन गौतम बरुआ शामिल हैं, के साथ मिलकर लेबर वेलफेयर सेस की राशि की बड़े पैमाने पर हेराफेरी की। यह सेस निर्माण लागत के एक प्रतिशत के रूप में वसूला जाता है और इसका उद्देश्य निर्माण मजदूरों के सामाजिक सुरक्षा और कल्याण को सुनिश्चित करना है।

ईडी के अनुसार, जिन पैसों का इस्तेमाल मजदूरों की चिकित्सा सहायता, मातृत्व लाभ, पेंशन, बच्चों की शिक्षा और अंतिम संस्कार जैसी सुविधाओं के लिए होना था, उसी फंड को कथित तौर पर फर्जी टेंडर और मनगढ़ंत प्रक्रियाओं के जरिए निकाला गया। जांच में सामने आया है कि वित्तीय वर्ष 2013-14 से 2015-16 के बीच बोइरागी को करीब 121.05 करोड़ रुपये के प्रिंटिंग कॉन्ट्रैक्ट दिए गए, जिनमें से 118.55 करोड़ रुपये सीधे उनकी कंपनी के खाते में ट्रांसफर हुए।

ईडी का आरोप है कि इस रकम का बड़ा हिस्सा तुरंत निजी फिक्स्ड डिपॉजिट में बदला गया या फिर दिल्ली स्थित कई शेल कंपनियों के जरिए घुमाया गया, ताकि अपराध से अर्जित धन के स्रोत को छिपाया जा सके। तलाशी के दौरान एजेंसी ने अहम दस्तावेज, इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस और एक ऑडी कार भी जब्त की है।

इससे पहले भी ईडी इस मामले में 34.03 करोड़ रुपये की बैंक राशि और एफडी को पीएमएलए की धारा 5(1) के तहत अटैच कर चुकी है। जांच एजेंसी का मानना है कि इस गिरफ्तारी के बाद लेबर वेलफेयर फंड घोटाले से जुड़े और भी बड़े नाम सामने आ सकते हैं।