गिनी की पटरियों पर दौड़ेगा मेक इन बिहार का रेल इंजन, भारत की औद्योगिक क्रांति की नई गूंज
- Post By Admin on Jun 20 2025
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पटना : बिहार के मढ़ौरा में बना देश का पहला वैश्विक निर्यात योग्य रेल इंजन अब पश्चिमी अफ्रीकी देश गिनी की पटरियों पर दौड़ने को तैयार है। यह कदम न केवल ‘मेक इन इंडिया’ अभियान को नई ऊंचाई देगा, बल्कि ‘मेड इन बिहार, मेक फॉर द वर्ल्ड’ के विजन को भी मजबूती प्रदान करेगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 20 जून को इस ऐतिहासिक निर्यात खेप को हरी झंडी दिखाएंगे। यह पहली बार है जब भारत का कोई राज्य वैश्विक बाजार के लिए लोकोमोटिव इंजन का निर्माण और निर्यात कर रहा है। इस अवसर के साथ ही बिहार अब वैश्विक औद्योगिक मानचित्र पर अपनी ठोस उपस्थिति दर्ज कराने को तैयार है।
मढ़ौरा: इतिहास से औद्योगिक क्रांति की ओर
छपरा जिले के मढ़ौरा में स्थित वेबटेक-इंडियन रेलवे संयुक्त उपक्रम की डीजल लोकोमोटिव फैक्ट्री ने अब तक 729 उच्च क्षमता वाले इंजन बनाए हैं। इनमें 4500 HP के 545 और 6000 HP के 184 इंजन शामिल हैं। अब इसी संयंत्र से ‘कोमो’ नामक 140 लोकोमोटिव इंजनों की खेप गिनी को निर्यात की जा रही है। यह 3000 करोड़ रुपये की डील भारत की बढ़ती वैश्विक औद्योगिक क्षमता का प्रमाण है।
'मेक इन बिहार' का वैश्विक मॉडल
गिनी के तीन मंत्रियों द्वारा 26 मई 2025 को फैक्ट्री का दौरा किए जाने के बाद यह सौदा फाइनल किया गया। खास बात यह है कि इस परियोजना से न सिर्फ बिहार को वैश्विक औद्योगिक सप्लाई चेन में अहम भूमिका मिली है, बल्कि हजारों युवाओं को तकनीकी रोजगार भी मिला है। संयंत्र का लगभग 40-50% कंपोनेंट भारत के विभिन्न राज्यों से आता है और अब निर्यात योग्य इंजन भी यहीं तैयार हो रहे हैं।
रोजगार और सप्लाई चेन को नई उड़ान
226 एकड़ में फैली यह फैक्ट्री स्थानीय स्तर पर सप्लायर नेटवर्क को भी मजबूत बना रही है। महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु, दिल्ली और जमशेदपुर जैसे राज्यों से आने वाले पार्ट्स के साथ-साथ कुछ उच्च तकनीकी हिस्से अमेरिका से भी मंगाए जाते हैं। अब गिनी सहित अन्य देशों से बढ़ते ऑर्डर को देखते हुए संयंत्र का विस्तार भी प्रस्तावित है।
आत्मनिर्भर भारत और विकसित बिहार की मजबूत नींव
यह परियोजना प्रधानमंत्री मोदी के ‘मेक इन इंडिया’ और आत्मनिर्भर भारत अभियान को अंतरराष्ट्रीय स्वरूप दे रही है, वहीं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के ‘विकसित बिहार’ के सपने को भी मूर्त रूप दे रही है। यह सिर्फ एक व्यापारिक डील नहीं, बल्कि भारत की तकनीकी क्षमता, बिहार की औद्योगिक प्रतिभा और वैश्विक आर्थिक मंच पर देश की मजबूती का प्रतीक है।
अब मढ़ौरा का इंजन सिर्फ भारत नहीं, दुनिया के लिए दौड़ेगा। यह बिहार की शक्ति और भारत की औद्योगिक क्रांति की नई गूंज है।