घाटी में शांति की कोशिशें होती रहेंगी : महबूबा मुफ़्ती

  • Post By Admin on Jun 20 2018
घाटी में शांति की कोशिशें होती रहेंगी : महबूबा मुफ़्ती

जम्मू कश्मीर : जम्मू कश्मीर में भाजपा ने पीडीपी का साथ छोड़ दिया है जिसके बाद इस बेमेल गठबंधन के 40 महीनों पर विपक्ष जहर उगल रहा है। पीडीपी का तो यह कहना है कि उसे भाजपा इस फैसले का पहले पता ही नहीं था। यही कोई भी संकेत दिए बिना भाजपा ने एकदम से महबूबा को चौंका दिया। सरकार गिरने के बाद पीडीपी क्या नया फॉर्मूला निकालेगी इसके लिए पीडीपी के सभी नेता बैठेंगे। फिलहाल इस्तेफे के बाद महबूबा ने कहा है कि उन्होंने भाजपा से बड़े विजन के लिए गठबंधन किया था। उन्होंने कहा कि घाटी में शांति की कोशिशें होती रहेंगी। अपने एजेंडे गिनाते हुए उन्होंने भाजपा को ही कड़ाई की पॉलिसी चलाने का कुसूरवार ठहराया, उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा के गठबंधन में आने से मुसलमान असहज महसूस कर रहे थे। उन्होंने कहा कि वो सत्ता की लालची नहीं हैं। महबूबा का मानना है कि बेहतरी के लिए घाटी की जनता और पाकिस्तान से बातचीत होनी चाहिए।  

नेशनल कॉन्फ्रेंस भी सूबे में सरकार बनाने के लिए अपनी कोशिशें तेज कर चुकी है। पीडीपी से भाजपा के साथ छोड़ते ही नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला राज्यपाल एनएन वोहरा से मिले। उम्मीद है कि नेशनल कॉन्फ्रेंस भी अपने नेताओं के साथ इस परिस्थिति पर चर्चा कर रही है। नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने राज्यपाल से अपनी मुलाकात का जिक्र करते हुए राज्यपाल शासन की दुरुस्त तैयारी की बात कही और जल्द हालात बेहतर होने का भरोसा दिलाया है। अब्दुल्ला ने कहा है कि उनकी पार्टी राज्यपाल शासन के दौरान पूरा सहयोग करेगी। अब्दुल्ला ने उम्मीद जताई है कि सूबे में जल्द ही चुनाव की स्थिति बनेगी।  

ऐसे हालात में जब सूबे में सरकार बनाने के लिए बहुमत जुटाना किसी भी पार्टी के लिए मुश्किल हो तो जम्मू कश्मीर स्पेशल प्रोविजन के चलते यहां राज्यपाल शासन लग सकता है। इस दौरान राज्यपाल के कार्यकाल में भी बढ़ोत्तरी की उम्मीद है। कानूनी धारा के अंतर्गत सेक्शन 92 के तहत संवैधानिक तंत्र फेल होने पर यहां राज्यपाल शासन लगता है। इसकी अवधि 6 महीने रहती है लेकिन यदि हालात ठीक नहीं होते तो इसे बढ़ाया जा सकता है।