डिजिटल क्रिएटर्स के लिए ITR नियमों में बड़ा बदलाव : अब 16021 कोड के तहत दिखानी होगी कमाई
- Post By Admin on Jul 27 2025

नई दिल्ली : सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स और डिजिटल कंटेंट क्रिएटर्स के लिए इस बार का टैक्स सीजन नए नियमों के साथ आया है। वित्त वर्ष 2024-25 (असेसमेंट ईयर 2025-26) से आयकर विभाग ने इन पेशेवरों की आय को पहचान देते हुए एक नया कोड ‘16021’ लागू किया है। इसके तहत प्रमोशन, ब्रांड एंडोर्समेंट और डिजिटल कंटेंट से होने वाली आय को विशेष प्रोफेशन कैटेगरी में शामिल किया गया है।
अब सोशल मीडिया से कमाई करने वाले यूट्यूबर्स, इंस्टाग्राम इन्फ्लुएंसर्स, ब्लॉगर और ऑनलाइन कोच को अपनी आय ITR-3 या ITR-4 (सुगम) में इस कोड के माध्यम से दर्शानी होगी। इसका उद्देश्य प्रोफेशनल टैक्स अनुपालन को पारदर्शी और सरल बनाना है।
क्या है नया बदलाव?
-
नया कोड ‘16021’ पेशेवर वर्ग के अंतर्गत आएगा।
-
यह उन सभी डिजिटल प्रोफेशनल्स पर लागू होगा जो ब्रांड प्रमोशन, डिजिटल एडवरटाइजिंग, प्रोडक्ट रिव्यू या अन्य सोशल मीडिया माध्यमों से कमाई करते हैं।
-
ITR-4 फॉर्म चुनने वाले प्रोफेशनल्स सेक्शन 44ADA के तहत अनुमानित कराधान योजना का लाभ ले सकते हैं।
कौन भर सकता है कौन सा फॉर्म?
-
ITR-3: उन व्यक्तियों और HUF के लिए है जिनकी आय बिजनेस या प्रोफेशनल सेवाओं (जैसे पार्टनरशिप फर्म से पारिश्रमिक) से होती है।
-
ITR-4 (सुगम): भारत में निवासी व्यक्ति, HUF या साझेदारी फर्में, जो सेक्शन 44AD, 44ADA या 44AE के तहत अनुमानित कराधान अपनाते हैं।
विशेषज्ञों के अनुसार यदि इन्फ्लुएंसर की प्राप्ति डिजिटल माध्यम से है और नकद लेनदेन 5% से कम है, तो 50 लाख रुपए तक की प्रोफेशनल आय पर ITR-4 के जरिए रिटर्न दाखिल किया जा सकता है। वहीं, बिजनेस आय वालों के लिए यह सीमा 3 करोड़ रुपये तक की हो सकती है।
क्यों जरूरी है यह बदलाव?
आयकर विभाग के मुताबिक, डिजिटल प्लेटफॉर्म से आय अर्जित करने वालों की संख्या तेजी से बढ़ रही है, ऐसे में उनकी आय का सही आकलन और टैक्स निर्धारण जरूरी हो गया है। नए कोड से न सिर्फ पारदर्शिता बढ़ेगी, बल्कि कर चोरी की संभावनाओं पर भी लगाम लगेगी।
यह बदलाव देश के डिजिटल इकोनॉमी और गिग वर्कफोर्स को टैक्स ढांचे में बेहतर रूप से शामिल करने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।