राम मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास हुए पंचतत्व में विलीन

  • Post By Admin on Feb 12 2025
राम मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास हुए पंचतत्व में विलीन

अयोध्या : राम मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास का 85 वर्ष की आयु में लखनऊ के पीजीआई अस्पताल में 12 फरवरी को निधन हो गया। इससे अयोध्या के मठ-मंदिरों में शोक की लहर है। आचार्य सत्येंद्र दास को 3 फरवरी को ब्रेन हेमरेज के बाद गंभीर हालत में पीजीआई के न्यूरोलॉजी वार्ड में भर्ती किया गया था। लंबी बीमारी के बाद उनका निधन हुआ और उनका पार्थिव शरीर अब अयोध्या लाया जा रहा है, जहां 13 फरवरी को उनका अंतिम संस्कार सरयू नदी के किनारे किया जाएगा।

आचार्य सत्येंद्र दास ने राम मंदिर के निर्माण कार्य में करीब 33 वर्षों तक अपनी सेवा दी। 1992 में जब राम जन्मभूमि विवाद के कारण मंदिर की जिम्मेदारी जिला प्रशासन के पास चली गई थी, तब उन्हें राम मंदिर के मुख्य पुजारी के रूप में नियुक्त किया गया था। सत्येंद्र दास की नियुक्ति बीजेपी सांसद विनय कटियार, विश्व हिंदू परिषद के नेता अशोक सिंघल और अन्य नेताओं की सहमति से हुई थी।

शुरुआत और योगदान

आचार्य सत्येंद्र दास ने 1975 में संस्कृत विद्यालय से आचार्य की डिग्री प्राप्त की और 1976 में अयोध्या के संस्कृत महाविद्यालय में सहायक अध्यापक के रूप में कार्य करना शुरू किया था। 1992 में राम मंदिर में पुजारी के रूप में उनकी नियुक्ति हुई, जब उन्हें केवल 100 रुपये महीने का वेतन मिलता था। उनका वेतन धीरे-धीरे बढ़कर 12,000 रुपये तक पहुंच गया था और 2019 में अयोध्या के कमिश्नर के निर्देश पर इसे 13,000 रुपये कर दिया गया था।

मुख्यमंत्री योगी ने दी श्रद्धांजलि

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आचार्य सत्येंद्र दास के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया। मुख्यमंत्री ने उनके योगदान को याद करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की। सत्येंद्र दास की मृत्यु से राम मंदिर के दर्शन और पुजा कार्यों में एक महत्वपूर्ण क्षति हुई है, जो अयोध्या और पूरे हिंदू समाज के लिए अपूरणीय है।

आचार्य सत्येंद्र दास की सेवा, समर्पण और उनके कार्यों को हमेशा याद किया जाएगा, खासकर उनके योगदान के कारण राम मंदिर के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान हुआ। उनके जाने से अयोध्या में एक बड़ी शून्यता उत्पन्न हुई है, लेकिन उनका कार्य और योगदान आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बने रहेंगे।