प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद की 140वीं जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित, राजकीय समारोह हुआ आयोजित

  • Post By Admin on Dec 03 2024
प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद की 140वीं जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित, राजकीय समारोह हुआ आयोजित

पटना : भारत रत्न और देश के प्रथम राष्ट्रपति, डॉ. राजेन्द्र प्रसाद की 140वीं जयंती के अवसर पर मंगलवार को पटना में भव्य राजकीय समारोह आयोजित किया गया। इस अवसर पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राजभवन के समीप स्थित उनकी आदमकद प्रतिमा पर माल्यार्पण किया और फिर राजेंद्र घाट स्थित उनकी समाधि स्थल पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी। 

इस दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि डॉ. राजेन्द्र प्रसाद का योगदान भारतीय राजनीति और समाज के लिए अनमोल रहेगा और उनकी प्रेरणा से आने वाली पीढ़ियां हमेशा मार्गदर्शन प्राप्त करेंगी। राजकीय समारोह में मुख्यमंत्री के साथ बिहार सरकार के दोनों उप मुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा, सम्राट चौधरी एवं अन्य प्रमुख अधिकारी भी उपस्थित थे। उप मुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा ने उनको नमन किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा, “डॉ. राजेन्द्र प्रसाद जी का योगदान हमेशा भारतीय लोकचेतना में जीवित रहेगा। उनके कार्यों की छाप हमेशा हमारे देश में बनी रहेगी।”

माल्यार्पण के बाद मुख्यमंत्री ने स्वदेशी कंबल आश्रम की महिला कारीगरों के बीच जाकर उन्हें साड़ी वितरित की और उनका उत्साहवर्धन किया। इन महिलाओं द्वारा कंबल आश्रम में चरखा काटने का कार्य किया जा रहा है। जिसे देखने के बाद मुख्यमंत्री ने उनकी सराहना की और कहा कि यह महिलाएं डॉ. राजेन्द्र प्रसाद के स्वदेशी और आत्मनिर्भरता के विचारों को साकार कर रही हैं।

इस अवसर पर पटना के नागरिकों और स्थानीय नेताओं ने भी बड़ी संख्या में भाग लिया और डॉ. राजेन्द्र प्रसाद की जयंती के अवसर पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। समारोह के दौरान कई स्कूलों के बच्चों ने भी सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए, जो डॉ. राजेन्द्र प्रसाद के जीवन और उनके योगदान को दर्शाते थे।

साथ ही उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने कहा कि डॉ. राजेन्द्र प्रसाद के आदर्शों और उनके समर्पण से हम सभी को प्रेरणा लेनी चाहिए। उनका जीवन संघर्ष, सरलता और देशभक्ति का प्रतीक था। जो आज भी हम सभी के लिए मार्गदर्शन का स्रोत है।

इस अवसर पर आयोजित समारोह में डॉ. राजेन्द्र प्रसाद की 140वीं जयंती को एक ऐतिहासिक आयोजन में तब्दील कर दिया और उनके योगदान को न केवल बिहार, बल्कि समग्र देश में याद किया गया।