पीर रतन नाथ योगी की शोभायात्रा नेपाल से देवीपाटन पहुंची

  • Post By Admin on Mar 26 2023
पीर रतन नाथ योगी की शोभायात्रा नेपाल से देवीपाटन पहुंची

बलरामपुर: कड़ी सुरक्षा के बीच नेपाल से पीर रतन नाथ योगी की शोभायात्रा परम्परागत ढंग से रविवार सुबह देवीपाटन मंदिर पैदल पहुंची है। हजारों की संख्या में श्रद्धालु पैदल यात्रा में शामिल होते हुए देवीपाटन मंदिर पहुंचे।
सदियों से चली आ रही नेपाल-भारत की यह धार्मिक व सांस्कृतिक यात्रा पीर रतन नाथ योगी की शोभायात्रा हर वर्ष की तरह इस बार भी चैत्र नवरात्र की पंचमी के दिन देवीपाटन मंदिर पहुंची। यात्रा नेपाल सीमा स्थित जनकपुर शिव मंदिर से एसडीएम मंगलेश दूबे की अगुवाई में पुलिस व एसएसबी जवानों की कड़ी सुरक्षा में शक्तिपीठ देवीपाटन लायी गयी। शक्तिपीठ परिसर स्थित समय माता मंदिर पर नाथ संप्रदाय के परम्परानुसार देवीपाटन पीठाधीश्वर मिथलेश नाथ योगी ने संतों के साथ रतन नाथ योगी (पात्र देवता) का स्वागत किया। पात्र देवता के मुख्य पुजारी ने शक्तिपीठ पर मां पाटेश्वरी का पूजन किया। नवरात्र के नवमी पूजन उपरांत यह यात्रा वापस नेपाल के लिए रवाना होगी।

युगों-युगों से चली आ रही यह परम्परा

इस यात्रा को लेकर कहा जाता है कि महायोगी गुरु गोरखनाथ के आदेश से उनके शिष्य रतन नाथ योगी शक्ति की आराधना करते हुए यहां देवीपाटन में वर्षों तक तपस्यारत रहे। तपस्या के दौरान मां पाटेश्वरी ने इन्हें दर्शन दिया। वरदान दिया कि नवरात्र के पंचमी से नवमी तक इनके द्वारा ही मां की पूजा होगी। तभी से चैत्र नवरात्रि की पंचमी को रतन नाथ योगी यहां आकर मां की पूजा करते हैं। यह परंपरा युगों-युगों से से चली आ रही है। आज भी यह यात्रा हर वर्ष नेपाल के दांग चौखड़ा रतन नाथ मंदिर से पात्र देवता की यात्रा चैत्र नवरात्र के पंचमी को देवीपाटन मंदिर पहुंचती है। नवमी पूजन के उपरांत यात्रा वापस नेपाल जाती है।

पूरे वर्ष इस यात्रा का श्रद्धालु करते हैं इंतजार

इस यात्रा का इंतजार श्रद्धालु पूरे वर्ष करते हैं। यह यात्रा चैत्र नवरात्र से एक दिन पूर्व नेपाल से पैदल चलती है। नवरात्र के द्वितीया के दिन नेपाल से भारत की सीमा में कोइलाबास सीमा होते हुए भारत में प्रवेश करती है। भारतीय सीमा स्थित जनकपुर में दो दिन विश्राम कर पंचमी की भोर चलते हुए देवीपाटन मंदिर पहुचती है। यात्रा मार्ग पर सड़क के दोनों पटरियों पर हजारों की संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए खड़े रहे। भीड़ को संभालने के लिए प्रशासन भी मुस्तैद रहा।