बालू की किल्लत से विकास की रफ्तार रुकी, परियोजनाओं पर पड़ा असर

  • Post By Admin on Dec 12 2024
बालू की किल्लत से विकास की रफ्तार रुकी, परियोजनाओं पर पड़ा असर

रांची : झारखंड में बालू की किल्लत ने विकास कार्यों की रफ्तार को धीमा कर दिया है। जेएसएमडीसी द्वारा संचालित 444 बालू घाटों में से 409 को अब तक पर्यावरण स्वीकृति नहीं मिली है। जबकि केवल 35 बालू घाटों को स्वीकृति मिली है। 

इसके चलते राज्य में बालू की भारी कमी हो गई है जो अबुआ आवास योजना और अन्य सरकारी परियोजनाओं पर भी असर डाल रही है। बालू उत्खनन पर रोक के कारण रियल इस्टेट क्षेत्र भी प्रभावित हो गया है और बालू की कालाबाजारी बढ़ गई है। बालू की बढ़ी हुई कीमतों ने घर बनाने की प्रक्रिया को मुश्किल बना दिया है और निर्माण कार्यों में रुकावट आ रही है।

पर्यावरण स्वीकृति की प्रक्रिया धीमी होने के कारण बालू घाटों के संचालन में रुकावट आई है। इसके लिए सिया (सार्वजनिक निरीक्षण और अनुमोदन) का गठन तो किया गया है लेकिन पर्यावरण स्वीकृति की प्रक्रिया लंबी होती जा रही है। झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद से अनुमति मिलने के बाद ही एनजीटी से एनओसी लिया जा सकता है जिससे बालू का उठाव संभव होगा।

बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने कहा कि बालू की कीमतें रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई हैं। महज 10 दिनों में एक ट्रॉली बालू की कीमत में 12,000 रुपये तक का इजाफा हुआ है। बालू की कमी ने न केवल अपार्टमेंट निर्माण को प्रभावित किया है बल्कि प्रधानमंत्री आवास योजना जैसे अहम प्रोजेक्ट्स पर भी नकारात्मक असर डाला है।