बिहार में नियोजित शिक्षकों को 18 साल बाद ट्रांसफर का मौका

  • Post By Admin on Oct 08 2024
बिहार में नियोजित शिक्षकों को 18 साल बाद ट्रांसफर का मौका

पटना : बिहार के नियोजित शिक्षकों को 18 सालों के बाद इच्छुक जगहों पर ट्रांसफर और पोस्टिंग का मौका मिला है। शिक्षकों और इनसे जुड़े शिक्षक संगठनों ने नीतीश सरकार की नई ट्रांसफर पॉलिसी का स्वागत किया है। इन शिक्षकों का नियोजन सबसे पहले साल 2006 में हुआ था। तभी से खासकर महिला शिक्षकों की यह मांग रही है कि उन्हें तबादले का मौका दिया जाए। सोमवार को स्थानांतरण और पदस्थापन नीति लागू होने के बाद इन शिक्षकों का इंतजार अब जल्द ही खत्म होगा। अब बिहार के सरकारी स्कूलों के शिक्षकों का हर पाँच साल में अनिवार्य रूप से तबादला होगा।

हालांकि, इस नीति के तहत वे नियोजित शिक्षक ही आवेदन करेंगे, जो सक्षमता परीक्षा उत्तीर्ण हैं और उनकी काउंसिलिंग पूरी हो गयी हैं। इसके अलावे बिहार लोक सेवा आयोग से चयनित शिक्षक तथा पूर्व से कार्यरत नियमित शिक्षक इस नीति के दायरे में आएंगे।
फ़िलहाल सक्षमता परीक्षा उत्तीर्ण शिक्षकों की संख्या 1 लाख 87 हजार हैं। 

नियोजित शिक्षकों के लिए जुलाई, 2020 में स्थानांतरण का एक नियम बना था, जिसके तहत एक बार जिले के बाहर तबादला का मौका दिया जाना था। मगर, इस नियम के तहत ट्रांसफर नहीं हो पाए थे। वहीं, पुराने नियमित वेतनमान वाले जिला कैडर के शिक्षकों के तबादले का प्रावधान पूर्व से ही था।

स्थानांतरण- पदस्थापना नीति के तहत पुरुष शिक्षकों का उनके गृह अनुमंडल और महिलाओं का उनके गृह पंचायत-नगर निकाय में तबादला- पदस्थापना नहीं होगा। 

शिक्षकों के स्थानांतरण और पदस्थापना को लेकर शीघ्र ही शिक्षकों से ऑनलाइन आवेदन लिये जाएंगे।
एक शिक्षक से दस विकल्प मांगे जाएंगे। विकल्प के रूप में जिला, अनुमंडल, प्रखंड, पंचायत और निकाय होंगे, ना कि स्कूल।

शिक्षा मंत्री सुनील कुमार ने सोमवार को हुए प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि, नये पदस्थापना के बाद नियोजित शिक्षक भी सरकारी शिक्षक हो जाएंगे। ऐसे में अब सभी शिक्षकों की जिम्मेदारी बनती हैं कि वो पूरी लगन से बच्चों को पढ़ाएं। 

इस नीति को लेकर बिहार प्रदेश शिक्षक संघ के अध्यक्ष केशव कुमार ने कहा कि, लंबे इंतजार के बाद सरकार स्थानांतरण नीति लाई है। मगर, इसमें हर पांच साल में शिक्षकों के अनिवार्य तबादले का नियम है, जिससे टीचर की परेशानी और बढ़ेगी। वहीं, कई जिलों में एक ही अनुमंडल है, ऐसे में यहां के शिक्षकों को जिले के बाहर जाने की बाध्यता होगी। इसमें बदलाव लाना चाहिए। 

वहीं टीईटी-एसटीईटी उत्तीर्ण नियोजित शिक्षक संघ गोपगुट ने इस नीति को जटिल बताया है। संघ के प्रदेश अध्यक्ष मार्कंडेय पाठक ने कहा है कि इसमें मानवीय पहलू पर विचार नहीं किया गया है।