बिहार दिवस पर धरोहर जागरूकता यात्रा और विरासत प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता का आयोजन
- Post By Admin on Mar 22 2025

मुजफ्फरपुर : बिहार दिवस के अवसर पर रामचंद्र शाही संग्रहालय, मुजफ्फरपुर में शनिवार को एक विशेष धरोहर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया। यह आयोजन पुरातत्त्व निदेशालय, बिहार सरकार के तत्वावधान में किया गया, जिसमें शहर के विभिन्न विद्यालयों और कॉलेज के करीब 150 विद्यार्थियों ने भाग लिया। कार्यक्रम का उद्देश्य विद्यार्थियों को राज्य की समृद्ध धरोहरों के प्रति जागरूक करना और उन्हें इनके संरक्षण का संकल्प दिलाना था।
कार्यक्रम की शुरुआत धरोहर जागरूकता यात्रा से हुई, जो संग्रहालय परिसर से शुरू होकर पानी टंकी चौक, एम.डी.डी.एम. कॉलेज होते हुए पुनः संग्रहालय में समाप्त हुई। इसके बाद संग्रहालय प्रांगण में विरासत प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता का आयोजन किया गया, जिसमें विद्यार्थियों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। इस अवसर पर संग्रहालय के सहायक संग्रहालयाध्यक्ष डॉ. विमल तिवारी ने स्वागत भाषण देते हुए बिहार की पुरातात्त्विक धरोहरों और संग्रहालयों की महत्ता पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा, "बिहार की ऐतिहासिक विरासत हमारी पहचान है, इसे संरक्षित करना हम सभी का कर्तव्य है।"
एम.डी.डी.एम. कॉलेज के प्राध्यापक डॉ. विपिन कुमार ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि "धरोहरें हमारी सांस्कृतिक पूंजी हैं, इन्हें सुरक्षित रखकर ही हम आने वाली पीढ़ियों को अपनी गौरवशाली परंपराओं से जोड़ सकते हैं।" कार्यक्रम में डॉ. विजय कुमार शाही, श्री शंभु मोहन प्रसाद और सुश्री बबली साहू ने भी अपने विचार व्यक्त किए और धरोहर संरक्षण के महत्व पर प्रकाश डाला। प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता में विद्यार्थियों से बिहार और भारत की विरासत से जुड़े रोचक सवाल पूछे गए। सही जवाब देने वाले प्रतिभागियों को पुरस्कृत किया गया। कार्यक्रम के अंत में सभी शिक्षकों और अतिथियों को स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया।
इस आयोजन में शिक्षकों में प्रियंका कुमारी, सपना कुमारी, नेमत जहाँ, रेखा श्रीवास्तव, मंजू शर्मा, और संग्रहालय कर्मियों में सोनू सरकार, राजा बाबू, देवषोत्तम झा, रजनीश कुमार सिंह, करन कुमार, राघवेन्द्र यादव, बिन्देश्वरी प्रसाद मंडल, गिरिन्द्र मोहन आजाद, रंजीत कुमार, नंदू राम समेत कई लोग उपस्थित रहे। कार्यक्रम के सफल आयोजन ने यह संदेश दिया कि अपनी धरोहरों को सहेजना और उनके प्रति जागरूक रहना हमारी जिम्मेदारी है, ताकि आने वाली पीढ़ियां भी अपने गौरवशाली इतिहास को जान सकें।