सबेरा नाट्य संस्था द्वारा 5 दिवसीय नाट्य कार्यशाला में बाल विवाह और बाल श्रम के खिलाफ संदेश

  • Post By Admin on Nov 19 2024
सबेरा नाट्य संस्था द्वारा 5 दिवसीय नाट्य कार्यशाला में बाल विवाह और बाल श्रम के खिलाफ संदेश

पटना : नाट्य संस्था सबेरा द्वारा आयोजित 5 दिवसीय प्रस्तुति परक नाट्य कार्यशाला का आज पांचवां दिन अत्यधिक सफल रहा, जब बच्चों ने “बोल जमुरे बोल” नाटक के माध्यम से बाल विवाह और बाल श्रम के खिलाफ एक जोरदार संदेश दिया। यह नाटक आदर्श उत्क्रमित मध्य विद्यालय (बीएमपी कमाउंड) में प्रस्तुत किया गया। जहां बच्चों ने न केवल अभिनय किया, बल्कि अपने गानों के माध्यम से समाज को जागरूक करने का प्रयास किया।

नाटक में बच्चे बाल विवाह और बाल श्रम के खिलाफ “बाल विवाह के मिटाव हो भईया, बाल श्रम के मिटाव, हाथ से हाथ मिलाव हो भईया, बाल श्रम के मिटाव” गीत गाते हुए दिखाई दे रहे थे। इस नाटक में बच्चों ने यह संदेश दिया कि लड़कियों की शादी 18 साल के बाद और लड़कों की शादी 21 साल के बाद होनी चाहिए। इसके अलावा बाल श्रम के खिलाफ भी कड़ा विरोध किया गया। 

नाटक के विभिन्न पात्रों में जिगर, रित्विक, पिंकी, कहकशा, श्रृष्टि, आयुषी, रोशनी, श्रेया, खुशबू, निक्की, अकांछा, आकृति, माही, सिमरन, संध्या, नेहा, आयुषी, अनन्या, स्तुति, आराध्या और अन्य बच्चे शामिल थे। इन बच्चों ने अलग-अलग पात्रों के रूप में अपनी भूमिका निभाई, जैसे जमूरा, मदारी, किलकारी रानी, पेपर वाला, मुनादी वाला आदि।

सामाजिक मुद्दों पर बच्चों के द्वारा नाट्य प्रस्तुति:
कार्यशाला के निदेशक एवं कठपुतली कला विशेषज्ञ सुनील सरला ने बताया कि इस नाट्य कार्यशाला में बच्चों ने केवल सामाजिक मुद्दों पर ही अभिनय नहीं किया, बल्कि पर्यावरण, जल संरक्षण, मतदाता जागरूकता और अन्य ज्ञानवर्धक विषयों पर भी नाटक प्रस्तुत किए। नाट्य संस्था सबेरा बच्चों को सामाजिक और मनोरंजक विषयों पर नाट्य कला का प्रशिक्षण देती है। जिससे वे न केवल अभिनय के क्षेत्र में प्रशिक्षित होते हैं, बल्कि समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए प्रेरित होते हैं।

20 नवंबर को नाटक का प्रदर्शन:
कार्यशाला के समापन के बाद, 20 नवम्बर को नाटक “बोल जमुरे बोल” का एक और प्रदर्शन होगा। जिसमें सबेरा जन उत्थान सामाजिक संस्थान, पटना के पदाधिकारी, सचिव सुजीत कुमार और अविनाश कुमार मुज़फ़्फ़रपुर से उपस्थित रहेंगे।

नाट्य कार्यशाला में कला निर्देशक और कठपुतली कला विशेषज्ञ सुनील सरला, संजय यादव, स्वेता यादव, अनीता कुमारी, एस के पांडेय, अमित कुमार, पिंकी कुमारी, शशी कुमार, किरण, हेना परवीन और कार्यशाला संरक्षक कृष्ण कुमार प्रधानाचार्य सहित कई प्रमुख व्यक्तित्व मौजूद थे।

यह नाट्य कार्यशाला न केवल बच्चों के लिए एक प्रेरणा स्रोत रही, बल्कि समाज के उन महत्वपूर्ण मुद्दों को सामने लाने का एक शानदार मंच भी बनी। जिनके बारे में लोगों को जागरूक किया जाना जरूरी है।