शहीद-ए-आजम भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव का मनाया गया शहादत दिवस
- Post By Admin on Mar 23 2025

लखीसराय : नया बाजार स्थित संकल्प क्लासेस, आदर्श नगर में रविवार को भारत की जनवादी नौजवान सभा और भारत का छात्र फेडरेशन के संयुक्त नेतृत्व में शहीद-ए-आजम भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव का शहादत दिवस श्रद्धा और सम्मान के साथ मनाया गया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता संकल्प क्लासेस के निदेशक शैलेन्द्र कुमार ने की, जबकि संचालन भारत की जनवादी नौजवान सभा के राज्य संयुक्त सचिव दीपक वर्मा ने किया। कार्यक्रम की शुरुआत शहीदों के तैल चित्र पर माल्यार्पण और पुष्प अर्पित कर उन्हें नमन करने के साथ हुई। इस मौके पर पुष्पांजलि भारती ने भावपूर्ण देशभक्ति गीत प्रस्तुत कर माहौल को देशभक्ति से सराबोर कर दिया। मुख्य अतिथि आर. लाल कॉलेज के दर्शनशास्त्र विभागाध्यक्ष प्रो. अजय विभोर ने कहा कि भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु मात्र 23 वर्ष की उम्र में देश के लिए हंसते-हंसते फांसी के फंदे पर झूल गए। वे जाति-धर्म के बंधनों से ऊपर उठकर समानता पर आधारित समाज का सपना देख रहे थे, लेकिन वर्तमान में देश की नीतियां उनके विचारों से उलट दिखाई दे रही हैं। उन्होंने कहा कि आज का पूंजीवादी तंत्र गरीबों को और गरीब बना रहा है, जबकि अमीर और अमीर होते जा रहे हैं।
दीपक वर्मा ने कहा कि भगत सिंह ने युवाओं में क्रांति की चेतना जगाने के लिए हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन की स्थापना की थी। वे समाजवादी भारत का सपना देखते थे, जहां हर किसी को बराबरी का हक मिले। आज जरूरत है उनके विचारों को अपनाने की और युवाओं को उसी राह पर चलने की। इस मौके पर पूर्व छात्र नेता और वार्ड आयुक्त सुनील कुमार, भारत का छात्र फेडरेशन के राज्य सचिव रौशन कुमार और मजदूर नेता मोती साव ने भी अपने विचार रखे। उन्होंने शहीदों के विचारों को मौजूदा समय में और अधिक प्रासंगिक बताया।
कार्यक्रम में एसएफआई जिला सचिव पवन कुमार, शिक्षक अमर्त्य सेन, मुकेश कुमार, कुंदन कुमार, रजनीकांत, संजीव कुमार, पार्वती कुमारी, सुमन कुमारी, कन्हैया कुमार, छोटी कुमारी, नागेंद्र कुमार, अमन कुमार, सिंटू कुमार, निखिल, बिट्टू, कमलेश समेत बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं और युवा शामिल हुए। अंत में कार्यक्रम का समापन शहीदों के विचारों को अपनाने और उनके बताए मार्ग पर चलने के संकल्प के साथ किया गया। आयोजकों ने कहा कि देश की वर्तमान परिस्थितियों में भगत सिंह और उनके साथियों के विचारों को आत्मसात करना समय की मांग है।